एक ऐसा बाबा जिसके लाखों अंधभक्त हों, जो हमेशा हजारों समर्थकों से घिरा रहता हो, उस पर यौन उत्पीड़न जैसे आरोप हों. उसे उन अंधभक्तों के बीच से गिरफ्तार करना. वो भी खुद के राज्य से नहीं बल्कि दूसरे राज्य से. यह अपने आप में बड़ा चैलेंज था. लेकिन पुख्ता सबूत और मजबूत रणनीति के चलते राजस्थान की जोधपुर पुलिस ने यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम को आज से साढ़े चार साल पहले 31 अगस्त, 2013 को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की.
यह पुलिस की बहुत बड़ी उपलब्धि थी. चार दिन तक पुलिस रिमांड पर रखने के बाद आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था. यह कहना है आसाराम के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज होने के बाद उसकी गिरफ्तारी के आपॅरेशन को सफलतापूर्वक हैंडल करने वाले जोधपुर के तत्कालीन डीसीपी अजयपाल लांबा का.
लांबा ही वो पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने बेहद सावधानीपूर्वक यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम को जेल के सींखचों के पीछे धकेला. बकौल लांबा यह काफी कठिन टास्क था. लेकिन जांच में आरोप साबित होने के बाद सटीक रणनीति बनाकर आसाराम को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया.
लांबा कहते हैं चुनौतियां अनेक थीं. जिस तरह का आसाराम का उस समय कद था. देशभर में उसके लाखों अंधभक्त थे. उस स्थिति में दूसरे प्रदेश में जाकर उसे गिरफ्तार करना राजस्थान पुलिस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था. लेकिन इस केस का सबसे मजबूत पहलू था नाबालिग पीड़िता के बयान. पीड़िता के बयान को साबित करने वाले सभी तथ्यों व सबूतों को सतर्कता के साथ जुटाया गया. बाद में उसे विधिवत रूप से कानूनी दायरे में पिरोया गया. यही आसाराम की गिरफ्तारी का आधार और पुलिस की सबसे बड़ी सफलता थी. उन्हीं के आधार पर पुलिस आसाराम को जेल के पीछे धकेल पायी.
(न्यूज18 से साभार)