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IAS अधिकारियों की ‘हड़ताल’ को केजरीवाल ने 'राष्ट्रपति शासन' बताया

इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया, जिसमें एलजी को दिल्ली के आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने और उनके काम पर लौटने का निर्देश देने की मांग की गई है

Bhasha

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारियों की ‘हड़ताल ’ के चलते दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है. केजरीवाल और उनके तीन मंत्रियों का उपराज्यपाल (एलजी) के गेस्ट रूम में धरना छठे दिन भी जारी है.

आप नेता एलजी से आईएएस अधिकारियों को ‘हड़ताल’ खत्म करने का आदेश देने की मांग कर रहे हैं. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और रोजगार मंत्री गोपाल राय केजरीवाल के साथ सोमवार शाम से एलजी ऑफिस में धरना दिए हुए हैं. जैन और सिसोदिया मंगलवार और बुधवार से भूख हड़ताल पर हैं.


केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘आईएएस अधिकारियों की हड़ताल से दिल्ली में एक तरह से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.’ केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि क्या वह अपने अधिकारियों के बैठक में शामिल ना होने पर काम कर सकते हैं?

उन्होंने आईएएस अधिकारियों की कथित ‘हड़ताल’ के मामले पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और उन्हें अपने अधिकारियों के बिना काम करने की चुनौती दी. उन्होंने कहा कि क्या प्रधानमंत्री एक दिन भी अधिकारियों के बगैर काम कर सकते हैं. मोदी को कल लिखे पत्र में केजरीवाल ने उनसे अपील की कि वह आईएएस अधिकारियों की हड़ताल समाप्त कराएं, ताकि वह रविवार को नीति आयोग में होने वाली बैठक में शामिल हो सकें.

अधिकारियों का दावा, कोई हड़ताल नहीं

हालांकि, आईएएस अधिकारियों का एसोसिएशन लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि कोई भी अधिकारी ‘हड़ताल’ पर नहीं है. सिसोदिया ने भी शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा था कि एलजी ऑफिस से जबरन निकाले जाने पर वह पानी भी पीना बंद कर देंगे.

सूत्रों ने बताया कि आप मंत्रियों के धरना देने के बाद अपने घर से काम कर रहे एलजी ने मंत्रियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए तीन टीमें बनाई हैं. इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया, जिसमें एलजी को दिल्ली के आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने और उनके काम पर लौटने का निर्देश देने की मांग की गई है. इस पर सुनवाई 18 जून को की जाएगी.

यह याचिका गुरुवार को अदालत में दायर की गई है, जिसमें केजरीवाल और उनके मंत्रियों के एलजी ऑफिस में धरना को असंवैधानिक और गैरकानूनी ठहराने की मांग की गई थी. केजरीवाल के धरने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई 18 जून को होगी.