view all

माफी प्रकरण: क्या अब 'थक' गए हैं अरविंद केजरीवाल

देश के तमाम जरूरी मुद्दों के बीच अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी की बातों को बेवजह तूल दी जा रही है

Ravishankar Singh

देश की मीडिया में आज-कल अरविंद केजरीवाल की माफी की खूब चर्चा हो रही है. हाल के दिनों में अरविंद केजरीवाल की आदत बन गई है कि आरोप लगाओ और फिर माफी मांग लो. अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब के पूर्व मंत्री और अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगी थी. अरविंद केजरीवाल ने विक्रम सिंह मजीठिया पर ड्रग तस्कर होने का आरोप लगाया था.

गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल पर कई राजनेताओं ने मानहानि का केस दायर कर रखा है. अरविंद केजरीवाल धीरे-धीरे इन सभी मामलों से अपने आपको निकालना चाह रहे हैं. इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने अब माफी शब्द को अपने डिक्शनरी में शामिल कर लिया है. राजनीति का यह नया स्टाइल अरविंद केजरीवाल को कितने दिन तक रास आएगा इस पर सस्पेंस कायम है.


अरविंद केजरीवाल ने कपिल सिब्बल और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी माफी मांग ली है. केजरीवाल ने पहले तो इन नेताओं से मौखिक माफी मांगी, लेकिन पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से लिखित माफी मांगने के बाद एक बार फिर केजरीवाल ने दोनों नेताओं से चिठ्ठी लिख कर माफी मांगी है.ऐसे में कहा जा रहा है कि केजरीवाल की माफी के बाद दोनों नेता मानहानि का मुकदमा वापस ले रहे हैं.

दूसरी तरफ केजरीवाल ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी को भी चिट्ठी लिखकर कहा है कि मैं अपने शब्दों के लिए खेद जताता हूं. मेरी आपसे कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मैंने जो भी कहा है उसके लिए माफी मांगता हूं. इस घटना को मेरे और आपके बीच ही रहने दिया जाए और कोर्ट में चल रही कार्रवाई को बंद कर दिया जाए.

इस चिट्ठी के बाद मानहानि के केस को वापस लेने के लिए गडकरी और केजरीवाल ने एक संयुक्त आवेदन दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में दायर किया है. इसी तरह की चिठ्ठी अरविंद केजरीवाल ने कपिल सिब्बल को भी लिखी है.

क्या थक गए हैं केजरीवाल?

अरविंद केजरीवाल को नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि केजरीवाल रोज-रोज कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते-काटते थक गए हैं. वह अब सिर्फ राजनीति पर फोकस करना चाहते हैं. ऐसे में वह तमाम ऐसे मुद्दों को निपटारा करना चाह रहे हैं, जिनकी वजह से उनका मुख्य कामकाज बाधित हो रहा था.

अरविंद केजरीवाल अपने ऊपर चल रहे मानहानि के मुकदमों को खत्म करने की कोशिश में संबंधित नेताओं से बारी-बारी से बात करने का फैसला किया है. बीते गुरुवार को उन्होंने मानहानि के एक मामले में अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से लिखित में माफी मांगी थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश समेत कई नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है.

बर्बाद हो रहा है समय

दिल्ली सरकार और सीएम के करीबी सूत्रों के मुताबिक, मानहानि मामलों की सुनवाई के कारण अदालत में केजरीवाल को रोजाना घंटों बर्बाद करने पड़ रहे हैं. जिसका असर प्रशासन के कामकाज पर पड़ रहा है. इसलिए अब अरविंद केजरीवाल की कोशिश है कि बातचीत और माफी के जरिए सभी मामले खत्म हो. इसी के तहत उन्होंने पहले मजीठिया और फिर कपिल सिब्बल और नितिन गडकरी से माफी मांगी है.

हालांकि, केजरीवाल की इस रणनीति की वजह से पार्टी में उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. आप की पंजाब इकाई टूट के कगार पर है. केजरीवाल को अब लगने लगा है कि अगर वाकई में राजनेता की तरह जीना है तो आरोप-प्रत्यारोप कब तक लगाते रहें. इससे आज तक तो कुछ मिला नहीं.

लेकिन, सवाल ये नहीं है कि अरविंद केजरीवाल ने आखिरकार क्यों माफी मांगी, सवाल यह है कि केजरीवल किस सबूत के दम पर विक्रम मजीठिया पर ड्रग तस्कर होने का आरोप लगाया था? और अब माफी क्यों मांगी. राजनीति में इस तरह के आचरण को जनता कब तक बर्दास्त करेगी?

मजीठिया से अरविंद केजरीवाल की माफी के बाद अब आप में घमासान मचा हुआ है. पंजाब आप के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद भगवंत मान ने अपने पद से इस्तीफ दे दिया है. पार्टी के कई नेता अरविंद केजरीवाल की माफी के बाद खुलेआम आलोचना कर रहे हैं. दूसरी तरफ कुछ जानकारों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने तो बड़ा दिल दिखा दिया, लेकिन देश में ऐसे कई नेता हैं जो झूठ बोल कर सत्ता के शीर्ष पर बैठ गए हैं और देश को लगातार मुद्दों से भटका कर दूसरे मुद्दों की तरफ धकेल रहे हैं.

वाकई में इस वक्त देश में सबकुछ अजूबा देखने को मिल रहा है. हाल ही में संसद में महत्वपूर्ण वित्त विधेयक बिना बहस के पास हो जाता है, जिसकी चर्चा टीवी पर नहीं होती है और न किसी मीडिया में इसको प्रमुखता से उठाया जाता है. दिल्ली के सीजीओ कॉम्पेल्स में एसएससी के हजारों छात्र परीक्षा में धांधली को लेकर काफी दिनों से धरने पर बैठे हैं, लेकिन एक भी केंद्रीय मंत्री इन छात्रों से मिलने की जहमत नहीं उठाते.

लेकिन, राहुल गांधी के कांग्रेस अधिवेशन में दिए भाषण पर प्रतिक्रिया देने और उसका बचाव करने के लिए देश के पांच-पांच केन्द्रीय मंत्री उतर जाते हैं. पूरे दिन देश की मीडिया में राहुल गांधी का भाषण और उस पर सरकार के मंत्रोयों के जवाब दिखाए जाते रहते हैं. जब यह मामला खत्म होता है तो अरविंद केजरीवाल की कथा का वर्णन किया जाता है.

जिस देश में बेरोजगारी चरम पर हो, किसान लगातार आत्महत्या करने को विवश हो रहे हों, जिस देश के उद्योगपति गरीबों का पैसा ले कर देश छोड़ कर भाग रहे हों. ऐसे देश में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के अलावा कोई दूसरा मुद्दा मीडिया को क्यों नहीं दिखाई दे रहा है?