आठ नवंबर की रात 8 बजे के बाद से मोदी सरकार नोटबंदी को लेकर सुर्खियों में रही है. कुछ लोगों ने सरकार के इस कदम का समर्थन तो कुछ ने विरोध किया है.
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 500 और 1000 रुपये के नोटों पर औपचारिक प्रतिबंध के लिए शुक्रवार को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया. यह विधेयक दिसंबर 2016 में नोटबंदी पर जारी सरकारी अध्यादेश की जगह लेगा.
जैसे ही वित्तमंत्री विधेयक को पेश करने के लिए खड़े हुए, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने उनका विरोध किया. उन्होंने इस विधेयक को 'अवैध' बताया.
सदन में इसे लेकर जुबानी जंग भी हुई. जेटली और तृणमूल कांग्रेस के नेता ने इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर हमला बोला.
राय ने कहा कि वह जेटली के 'बोलने के अधिकार' पर सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'उन्हें राज्यसभा में जाना चाहिए और बोलना चाहिए.'
इसके जवाब में मंत्री ने सदस्य के विधेयक के विरोध के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा, 'उनकी आपत्ति विधायी क्षमता से कुछ अलग है. उनकी आपत्ति है कि यह एक अच्छा विधेयक नहीं है.'
नाराज रॉय ने कहा, 'जेटली इस सदन के सदस्य तक नहीं हैं. उन्हें सदन के नियमों के बारे में पता नहीं है.'
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने जेटली का बचाव किया और कहा, 'जेटली एक उत्कृष्ट सांसद रहे हैं, उन्हें बेहतर सांसद भी घोषित किया गया है. उन्हें दोनों सदनों की अच्छी जानकारी है.'
राय ने तब कहा कि विधायी सक्षमता का सवाल बाद में उठाया जाएगा कि क्या किसी सदस्य को एक विधेयक पेश किए जाने पर आपत्ति का अधिकार है.
रॉय ने कहा, 'यह विधेयक वास्तविक रूप से अवैध है, क्योंकि प्रधानमंत्री का नोटबंदी पर मूलभूत बयान बिना किसी अधिसूचना के अवैध रूप से आठ नवंबर को आया था. इसे लेकर संसद को कोई जानकारी नहीं दी गई थी.'
हालांकि, जेटली ने रॉय की बातों को कई कारणों से गलत कहा. जेटली ने कहा, 'एक विधेयक का विरोध दो आधार पर किया जा सकता है- एक कि सदन के पास विधायी क्षमता नहीं हो या यह असंवैधानिक हो. उनकी आपत्ति में यह दोनों आधार नहीं है.'
उन्होंने कहा कि सरकार अपने अधिकार के तहत नोटबंदी को लागू करने में सही रही. जेटली ने कहा, 'आठ नवंबर को अधिसूचना धारा 26-2 के तहत थी, आरबीआई को आदेश पारित करने की क्षमता है.'
उन्होंने तृणमूल सांसद पर निशाना साधा और कहा, 'यह उनके लंबे संसदीय अनुभव में वृद्धि करेगा.'
रॉय की आपत्ति को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खारिज कर दिया और विधेयक को निचले सदन में पेश किया गया.