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'आखिर कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता कैसे दिया जा सकता है'

कांग्रेस को वित्त मंत्री ने फेसबुक पोस्ट के जरिए दिया जवाब

FP Staff

गोवा और मणिपुर में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता मिलने को लेकर कांग्रेस पार्टी की तरफ से आरोप लगाए जा रहे हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए इस पूरे विवाद को समझाने की कोशिश की है. जेटली ने बताया है कि आखिर कैसे बीजेपी को गोवा में सरकार बनाने का न्योता मिला और कांग्रेस को नहीं मिला. पढ़िए वित्तमंत्री की पूरी पोस्ट...

कांग्रेस कुछ ज्यादा ही शिकायत करती है. कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर गोवा में जनादेश छीनने का आरोप लगाया है. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका डाली जिसमें उसे असफलता मिली. पार्टी ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाने की कोशिश की. आइए जानें तथ्य क्या हैं-


गोवा विधानसभा चुनावों में एक अधूरा जनादेश आया. वहां पर एक त्रिशंकु विधानसभा बन रही थी. जाहिर है एक त्रिशंकु जनादेश के बाद पार्टियों के बीच गठबंधन तो होंगे ही. बीजेपी ने गठबंधन बनाने में सफलता पाई और उसने 40 में से 21 विधायक गवर्नर के सामने प्रस्तुत किए. ये विधायक गनर्नर के सामने उपस्थित हुए और समर्थन पत्र सौंपा.

कांग्रेस ने तब तक कोई दावा तक नहीं प्रस्तुत किया था. उसके पास विधानसभा में 17 विधायकों का समर्थन है. कांग्रेस ने गवर्नर द्वारा मनोहर पर्रिकर, जिनको 40 में से 21 विधायकों का समर्थन है, को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का विरोध करते हुए इसे 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया है.

अब क्योंकि मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में 21 विधायकों ने दावा पेश किया था इस वजह से गवर्नर कांग्रेस को नहीं बुला सके, जिसके पास सिर्फ 17 विधायकों का ही समर्थन था. ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो गवर्नर के हालिया निर्णय को सही ठहराते हैं.

- 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 81 में से 30 सीटें जीती थीं. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबु सोरेन को उनकी पार्टी के 17 के साथ अन्य विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का न्योता दिया गया था.

- 2002 में नेशनल कांफ्रेंस के 28 विधायक जीत कर आए थे लेकिन गवर्नर ने सरकार बनाने का न्योता पीडीपी+कांग्रेस (15+21) को दिया था.

- 2013 में बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 31 सीटें जीती थीं लेकिन सरकार बनाने का न्योता 28 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को दिया गया जिसे कांग्रेस का समर्थन हासिल था.

इसके अलावा भी ऐसे ही कई उदाहरण मौजूद हैं. 1952 (मद्रास), 1967 (राजस्थान) और 1982 (हरियाणा) में भी ऐसा ही हुआ.

बहुमत चूक रही सबसे बड़ी पार्टी और गठजोड़ कर बहुमत हासिल करने वाली पार्टियों के बीच बहस पर सफाई 1998 में पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन ने दी थी. तब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का न्योता दिया था. राष्ट्रपति ने कहा था, ' जब किसी पार्टी या चुनाव पूर्व हुए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत न मिला हो तो राष्ट्रपति को ये अधिकार होता है कि वो पार्टियों के उस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाए जिसके पास बहुमत हो. उसके बाद उसे एक तय समयसीमा में सदन में अपना बहुमत पेश करने के लिए कहा जाता है. यह फार्मूला हमेशा काम नहीं कर सकता क्योंकि सबसे बड़ी पार्टी इतर भी सांसद अपना सबसे बड़ा दल बना सकते हैं. राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए उसी को आमंत्रित करता है जिसके पास बहुमत हो.'

गोवा के गवर्नर के पास सिर्फ मनोहर पर्रिकर ही दावा पहुंचा है जिनके पास 40 में से 21 विधायक हैं. कांग्रेस के 17 विधायकों ने कोई दावा नहीं पेश किया और न ही उनके नेता ने. आखिर कांग्रेस को सरकार बनाने का न्योता कैसे दिया जा सकता है?