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ओडिशा में कमल खिलाने के लिए अमित शाह की 'लुक ईस्ट पॉलिसी'

बीजेपी की नजर ओडिशा, बंगाल के अलावा उत्तर पूर्व के सभी राज्यों पर है, जहां अब तक पार्टी की सरकार नहीं बन पाई है.

Amitesh

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इन दिनों ओडिशा के तीन दिवसीय दौरे पर हैं. तीन दिन के प्रवास की शुरुआत अमित शाह ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के विधानसभा क्षेत्र वाले जिले गुंजम से की है, जिसे बीजेडी का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है.

अमित शाह ने दोपहर का भोजन एक दलित के घर जाकर किया. गुंजम जिले के बरहमपुर के हुगलपाता गांव के रहने वाले दलित समुदाय के नवीन स्वाइं के घर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भोजन करना इस बात का संकेत है कि बीजेपी आने वाले दिनों में ओडिशा को कितनी गंभीरता से ले रही है.


दलितों को अपने पाले में लाने की सियासत सभी दल कर रहे हैं. लेकिन, बीजेपी अध्यक्ष का ओडिशा में ऐसा करना एक बार फिर से यूपी विधानसभा चुनाव के पहले की कुछ तस्वीरों की याद ताजा कर देता है. ये बीजेपी की रणनीति है जिसमें दलित वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में वो हर हथकंडे अपना रही है.

सत्रह साल से ओडिशा की सत्ता पर काबिज नवीन पटनायक की सरकार के खिलाफ अमित शाह ने अपने दौरे के पहले ही दिन लड़ाई का शंखनाद कर दिया. उन्होंने गुंजम जिले के बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि अगली बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज होगी.

ओडिशा से कर रही है बीजेपी 2019 की तैयारी

2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा में विधानसभा के चुनाव होने हैं. जिसको लेकर अमित शाह अभी से ही अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं. कुछ महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी ने ओडिशा के भीतर बेहतर प्रदर्शन किया था.

पहली बार ओडिशा में 851 में से 297 जिला पार्षद की सीटें बीजेपी के खाते में आई थीं, जिसके बाद बीजेपी ने यहां पर पूरा फोकस कर दिया है.

पार्टी को लग रहा है कि अगर ओडिशा में अभी से ही रणनीति को धार दी गई तो अगले विधानसभा चुनाव में पूर्वी भारत के इस राज्य में पहली बार कमल खिल सकता है. इसी रणनीति के तहत अमित शाह तीन दिन के ओडिशा प्रवास के दौरान बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर के कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होंगे.

गुंजम जिले के बाद अमित शाह जाजपुर और खुर्दा जिले में बूथ स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं. मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम के तहत बीजेपी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे रही है. उन्हें बूथ मैंनेजमेंट के गुर सिखाए जा रहे हैं और इस गुर को सिखाने वाला कोई और नहीं बल्कि, खुद बूथ मैनेजमेंट के सबसे बड़े मास्टर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ही हैं.

बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में बूथ स्तर के अलावा, पंचायत स्तर और जिला स्तर के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं. इसके अलावा जिला पार्षदों से भी अमित शाह मुलाकात कर रहे हैं. बीजेपी ने ओडिशा में 36000 बूथ कमेटी बनाने का फैसला भी किया है. जिसको लेकर जल्द ही अमल शुरू होगा.

ओडिशा, बंगाल और पूर्वी राज्यों के लिए बीजेपी का बड़ा प्लान

बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी भी इसी साल अप्रैल में भुवनेश्वर में हुई थी, जिसे पार्टी की अगली रणनीति के तौर पर ही देखा गया था. इस बैठक के जरिए बीजेपी ने ओडिशा के लोगों को एक संदेश देने की कोशिश की थी.

दरअसल, बीजेपी की नजर ओडिशा, बंगाल के अलावा उत्तर पूर्व के सभी राज्यों पर है, जहां अबतक पार्टी की सरकार नहीं बन पाई है. असम की जीत के बाद बीजेपी का उत्साह बढ़ा भी है. लेकिन, अब नजर बंगाल और ओडिशा पर है.

बीजेपी को लगता है कि अगर इन राज्यों में  पार्टी का जनाधार बढ़ता है तो उसका फायदा अगले लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. बीजेपी का आकलन है कि यूपी समेत उत्तर भारत के राज्य में उसकी सीटों की संख्या कम हो सकती हैं क्योंकि अब तक उसे अधिकतम सीटें मिल चुकी हैं.

ऐसी सूरत में उन सीटों की भरपाई पूर्वी और दक्षिण के उन राज्यों से की जा सकती है, जहां बीजेपी के सीटों की संख्या काफी कम है.

ये बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वो 2014 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर फोकस कर रही है. अब तक 120 ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां बीजेपी कभी भी चुनाव नहीं जीत पाई है. बीजेपी की कोशिश इन 120 सीटों को जीतने की है.

बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह खुद इस रणनीति को बनाने में लगे हुए हैं. एक बार फिर से उनका वही पुराना माइक्रो मैनेजमेंट का फॉर्मूला सुर्खियों में है.

इस फॉर्मूले ने यूपी से लेकर असम तक सभी जगह सबको चौंकाया भी है. अब अमित शाह की तरफ से ओडिशा में भी कुछ ऐसा ही करने की तैयारी हो रही है.