view all

BJP राम मंदिर बनाना चाहती है, दूसरी पार्टिंयां इसमें अड़ंगा ना लगाएं: अमित शाह

अमित शाह ने कहा, 'कोर्ट के अंदर लंबी बहस है, फिर भी 1993 में जिस जमीन को अधिकृत किया गया, उस भूमि को बीजेपी सरकार ने राम जन्मभूमि को वापस देने का फैसला किया है

FP Staff

राम जन्मभूमि मामले को लेकर पिछले मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी डाली थी. इस अर्जी में केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि की विवादित जमीन को छोड़कर बाकी जमीन राम जन्मभूमि न्यास को सौंपने की इजाजत मांगी थी.

सरकार के इस फैसले का VHP जैसे संगठनों ने समर्थन किया था. वहीं अब इस मामले पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का बयान भी सामने आया है.


अमित शाह ने कहा, 'कोर्ट के अंदर लंबी बहस है, फिर भी 1993 में जिस जमीन को अधिकृत किया गया, उस भूमि को बीजेपी सरकार ने राम जन्मभूमि को वापस देने का फैसला किया है. ये एक ऐतिहासिक कदम है.' अमित शाह ने कहा, 'मैं विपक्षी पार्टियों से कहना चाहता हूं कि मामले में रोड़े न डालें.'

इससे पहले वीएचपी ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा था कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, 'यह जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है और यह किसी वाद में नहीं है. यह सरकार का सही दिशा में उठाया गया कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं.' वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि, 'हमें गैर विवादित भूमि पर तत्काल कार्य करने की अनुमति मिलनी ही चाहिए. हम केंद्र सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं.'

क्या थी मोदी सरकार की अर्जी

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी कि अयोध्या में विवादित 0.333 एकड़ जमीन के अलावा बाकी 67 एकड़ जमीन, दोबारा उनके असल मालिकों को लौटाने की इजाजत दी जाए. ये अधिक जमीन विवादित जमीन से अलग है. इसका अधिग्रहण 1993 में नरसिम्हा राव सरकार ने किया था. इसकी वजह बताई गई थी कि राम मंदिर मामला पिछले काफी समय से कोर्ट में हैं और अब तक इसका कोई हल नहीं निकला है. ऐसे में राम मंदिर निर्माण में देरी होती जा रही है. सरकरा का मानना था कि जब तक ये विवाद हल नहीं हो जाता तब तक मंदिर की गैरविवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू कराया जा सकता है.