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पश्चिम बंगाल में अमित शाह: ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी की आक्रामकता का कितना फायदा होगा?

बंगाल की संस्कृति और बंगाल की अस्मिता के मुद्दे को उठाकर अमित शाह की कोशिश पश्चिम बंगाल के लोगों को बीजेपी के करीब लाने की कोशिश है, जिसके दम पर वो पश्चिम बंगाल में अपने मिशन 23 प्लस को जमीन पर उतार सकें.

Amitesh

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को पश्चिम बंगाल के पुरबा मेदिनीपुर जिले में रैली को संबोधित करने पहुंचे थे. एक हफ्ते पहले मालदा में अमित शाह की रैली के बाद उनकी इस रैली में नजारा भी उसी तरह का था. लोगों की भीड़ से उत्साहित शाह ने एक बार फिर ममता बनर्जी पर हमला बोल दिया.

शाह ने आक्रामक अंदाज में सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को निशाने पर लेते हुए बीजेपी की रथयात्रा में अड़ंगे लगाने का आरोप लगाया. शाह ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘ममता दी बहरे कान खोलकर सुन लो, जितना रोकने की कोशिश करोगी, उतना बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर अपनी बात रखेंगे.’


उन्होंने पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर चिटफंड घोटाले के आरोपियों से सांठ-गांठ का आरोप लगाते हुए फिर ममता बनर्जी पर हमला बोला. शाह ने कहा, ‘ममता बनर्जी की सबसे अच्छा गुण है कि वो पेंटिंग भी करती हैं. लेकिन, चिटफंड वाले इनकी पेंटिंग करोड़ों में खरीदते हैं.

ऐसे में उनसे चिटफंड वालों पर कार्रवाई की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.’ शाह ने मेदिनीपुर के लोगों को भरोसा दिलाया कि एक बार उनकी पार्टी की सरकार बन गई तो चिटफंड वालों से वे सारे पैसे उगलवा लेंगे.

दरअसल, बीजेपी पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव 2019 में 23 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. लिहाजा पार्टी की तरफ से आक्रामक अंदाज में प्रचार किया जा रहा है. पंचायत चुनावों के बाद साफ हो गया है कि राज्य में सत्ताधारी टीएमसी के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में अब बीजेपी ही रह गई है. लेफ्ट और कांग्रेस दोनों इस वक्त हाशिए पर हैं.

लड़खड़ाती कांग्रेस अपने-आप को संभाल भी नहीं पा रही है और न ही खुलकर ममता के खिलाफ कुछ बोलने का साहस भी जुटा पा रही है. जबकि, अपना जनाधार गंवा चुका लेफ्ट कुछ करने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि बीजेपी ने विपक्ष के उस स्पेस को हथिया लिया है, जिस पर सवार होकर अमित शाह बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं.

बीजेपी की बढ़ती ताकत के चलते ही टीएमसी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. बीजेपी की रथयात्रा का विरोध करने के चलते अब बीजेपी की तरफ से टीएमसी के खिलाफ लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया जा रहा है. बीजेपी ने रथयात्रा के बजाए अब पूरे बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में कुल 310 रैली करने का फैसला किया है. बेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने उसी मिशन के तहत मेदिनीपुर पहुंचे थे.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा बीजेपी के पार्टी पदाधिकारी भी राज्य में अलग-अलग जगहों पर रैली करने वाले हैं. 2 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ठाकुरनगर में रैली को संबोधित करने वाले हैं, जबकि अगले 8 फरवरी को भी उनकी रैली होनी है.

मोदी-शाह की अगुआई में बीजेपी ने धुंधाधार रैलियों के जरिए पश्चिम बंगाल में माहौल अपने पक्ष में करने की पूरी तैयारी कर रखी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का आक्रामक अंदाज और ममता बनर्जी पर किया गया हमला बीजेपी की रणनीति के तहत किया जा रहा है जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के भीतर एक भरोसा जगाने की कोशिश की जा रही है. उनके भीतर डर के माहौल को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.

मालदा के बाद अमित शाह की रैली मेदिनीपुर में थी, लेकिन, यहां भी शाह ने गो-तस्करी, घुसपैठिए, दुर्गा-पूजा और सरस्वती पूजा का मुद्दा उठा दिया. बीजेपी अध्यक्ष ने एक बार फिर ममता बनर्जी को तुष्टीकरण के मुद्दे पर घेरते हुए पूछा, दुर्गा-पूजा और सरस्वती पूजा बंगाल में नहीं मनेगा तो क्या पाकिस्तान में होगा? दरअसल, अमित शाह की तऱफ से उन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जा रहा है जिन मुद्दों के सहारे ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का आरोप लगाकर घेरा जा सके.

बीजेपी की बढ़ती आक्रामकता और ममता बनर्जी को घेरने की रणनीति का अंदाजा अमित शाह की रैली में दिखा. शाह ने कहा कि भले ही देश के लिए यह लोकसभा का चुनाव मोदी जी के चुनाव के लिए है, लेकिन, यहां पश्चिम बंगाल में यह चुनाव सोनार बांग्ला का चुनाव है. यानी अपना पुराना बंगाल और वैसा बंगाल बनाने के लिए चुनाव है जिसमें फिर से बंगाल की संस्कृति, रवींद्र संगीत, चैतन्य महाप्रभु की आवाज के साथ-साथ स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस वाला बंगाल हो.

बंगाल की संस्कृति और बंगाल की अस्मिता के मुद्दे को उठाकर अमित शाह की कोशिश पश्चिम बंगाल के लोगों को बीजेपी के करीब लाने की कोशिश है, जिसके दम पर वो पश्चिम बंगाल में अपने मिशन 23 प्लस को जमीन पर उतार सकें. इसी कोशिश में बीजेपी आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है.