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बंगाल निकाय चुनाव: TMC की जीत से बड़ी बात BJP का नंबर दो होना है

बीजेपी का बंगाल के स्थानीय निकाय चुनाव का प्रदर्शन पार्टी की रणनीति के मुताबिक सही दिशा में जाने का संकेत दे रहा है

Amitesh

बंगाल में स्थानीय निकाय का चुनाव परिणाम बंगाल की बदलती सियासी तस्वीर को बयां कर रहा है. कभी लेफ्ट के गढ़ माने जाने वाले बंगाल की धरती पर पूरी तरह से तृणमूल का कब्जा हो गया है.

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने क्लीन स्वीप कर लिया है. बंगाल में सात जगहों पर स्थानीय निकाय चुनाव पिछले 13 अगस्त को हुए थे. जिसका परिणाम आने के बाद ममता बनर्जी फिर से बंगाल की नंबर वन नेता के तौर पर उभर कर सामने आई हैं.


बंगाल के जिन सात नगरपालिका परिष्द के लिए चुनाव हुए हैं. उनमें पूर्वी मिदनापुर जिले के पांशकुडा और हल्दिया, बीरभूम जिले में नलहाटी, दक्षिण दिनाजपुर में बुनियादपुर और जलपाईगुडी जिले में धूपगुडी प्रमुख हैं.

बंगाल के सात निकायों के चुनाव में कुल 148 वार्ड में 140 सीट पर टीएमसी ने कब्जा किया है. बीजेपी को 6 सीटें मिली हैं जबकि एक सीट पर फारवर्ड ब्लॉक और एक पर निर्दलीय का कब्जा हुआ है.

चुनाव परिणाम सामने आने के बाद निश्चित तौर पर ममता बनर्जी इस वक्त सबसे बड़ी विजेता के तौर पर उभरी हैं. लेकिन, बीजेपी का नंबर दो पर पहुंचना बंगाल की करवट लेती सियासत को दिखा रहा है.

बीजेपी इस वक्त बंगाल में काफी आक्रामक तरीके से अपना अभियान चला रही है. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अभी से ही बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू भी कर दी है.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी बंगाल में अपने-आप को एक बड़ी ताकत के तौर पर उभारने में लगी है. बीजेपी की कोशिश लेफ्ट और कांग्रेस के मुकाबले अपने-आप को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करना चाहती है. स्थानीय निकाय का चुनाव परिणाम इस वक्त बीजेपी के लिहाज से राहत भरा भी है और उत्साहजनक भी.

बीजेपी को भले ही 6 सीटों पर जीत मिली है लेकिन, अधिकतर सीटों पर टीएमसी से उसकी सीधी टक्कर रही है, जहां वो दूसरे नंबर पर रही. कभी लेफ्ट का गढ़ रहे हल्दिया में टीएमसी ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि दुर्गापुर की सभी 43 सीटों पर टीएमसी का कब्जा हो गया. दुर्गापुर में करीब 15 सीटों पर बीजेपी ने टीएमसी को सीधी टक्कर दी है.

लेकिन, बीजेपी अपनी हार से ज्यादा लेफ्ट और कांग्रेस की हार से खुश है. इन चुनावों में सीपीएम और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका. फॉरवर्ड ब्लॉक को एक और निर्दलीय को एक सीट पर जीत मिली. लेफ्ट और कांग्रेस दोनों की करारी हार बंगाल में बीजेपी के लिए वरदान साबित हो रही है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से भी चुनाव परिणाम आने के बाद जिस अंदाज में कांग्रेस और लेफ्ट पर कटाक्ष किया गया, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में विपक्षी एकता के नाम पर लेफ्ट और कांग्रेस के साथ ममता के जाने की संभावना कम है.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नजर अभी से ही 2019 के लोकसभा चुनाव पर है. तैयारी में लगे अमित शाह बंगाल की 42 सीटों पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं. इसी कड़ी में निचले स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने की उनकी कवायद हो रही है, जिसका परिणाम अब सामने दिख भी रहा है.

इसके पहले ओडीशा में भी स्थानीय निकाय के चुनाव परिणाम ने सभी को चौंका दिया था. बीजेपी अपनी लुक इस्ट पॉलिसी के तहत ओडीशा में भी पांव पसार रही है. ओडीशा में पंचायत स्तर के चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह सत्ताधारी बीजेडी को कई जगहों पर पटखनी दी, उससे बीजेपी की रणनीति का पता चल गया.

बीजेपी का बंगाल के स्थानीय निकाय चुनाव का प्रदर्शन पार्टी की रणनीति के मुताबिक सही दिशा में जाने का संकेत दे रहा है. अपनी जीत से उत्साहित ममता बनर्जी के लिए बीजेपी का प्रदर्शन आने वाले दिनों में चिंता का कारण हो सकता है.