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बीजेपी का एससी/एसटी एक्ट में संशोधन उसे ले डूबा, आरक्षित सीटों पर 29 सीटों का हुआ नुकसान

बीजेपी ने अनुसूचित जाति श्रेणी में 12 सीटें और अनुसूचित जन जाति श्रेणी में नौ सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस ने अनूसूचित जाति की श्रेणी में 19 सीटें और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12 सीटों पर दर्ज हासिल की है

Bhasha

राजस्थान में सात दिसम्बर को हुए मतदान में बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर और एससी / एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध के चलते 29 सीटों का नुकसान हुआ है. निर्वाचन विभाग से प्राप्त आंकडों के अनुसार 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 59 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल 21 सीटों पर जीत मिली है.

2018 के चुनाव परिणामों में बीजेपी ने अनुसूचित जाति श्रेणी में 12 सीटें और अनुसूचित जन जाति श्रेणी में नौ सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं कांग्रेस ने अनूसूचित जाति की श्रेणी में 19 सीटें और अनुसूचित जनजाति श्रेणी में 12 सीटों पर दर्ज हासिल की है.


बीजेपी विरोधी हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोक तांत्रिक पार्टी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित दो सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं एक सीट निर्दलीय के खाते में गयी है. दो अनुसूचित जनजाति सीटों पर निर्दलीयों ने और दो सीटों पर भारतीय ट्राइबल पार्टी ने चुनाव जीता है.

राजनैतिक पर्यवक्षकों ने एससी/एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध में दो अप्रैल को 'भारत बंद' और सत्ता विरोधी तत्वों के कारण बीजेपी को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

हिंसक प्रदर्शन हुए थे:

राज्य में एससी/एसटी अधिनियम प्रावधानों में किए गए बदलाव के विरोध में दलित समूहों ने रेल/सड़क यातायात को जाम करने के साथ साथ सम्पत्ति का नुकसान किया था. इसके कुछ दिन बाद राज्य के कई हिस्सों में सवर्ण समाज के लोगों ने शांतिपूर्वक बंद का आयोजन किया था.

जनता की नाराजगी झेल रही कांग्रेस ने राज्य के पूर्वी जिलों में अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर दर्ज की है. इस चुनाव में बीजेपी ने अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, और टोंक जिले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई.