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रोहिंग्या को मुस्लिम नहीं, शरणार्थी के रूप में देखे सरकार: ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि भारत का संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है और यह शरणार्थियों पर भी लागू होता है

Bhasha

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर तिब्बत, बांग्लादेश और श्रीलंका के शरणार्थी भारत में रह सकते है तो म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम क्यों नहीं रह सकते.

उन्होंने बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का भी हवाला दिया. तसलीमा अपने देश में इस्लामी कट्टरपंथियों से धमकी मिलने के बाद अब एक दशक से अधिक समय से भारत में शरण लिए हुए है.


म्यांमार के हिंसाग्रस्त रखाइन प्रांत से भागे रोहिंग्या पर रुख लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'अपना सब कुछ खो चुके उन लोगों को क्या वापस भेजना मानवता है. यह गलत है.'

उन्होंने गुरुवार को देर रात लोगों को संबोधित करते हुए पूछा, 'यदि बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन भारत में शरण ले सकती है तो रोहिंग्या मुसलमान क्यों नहीं.'

संविधान में शरणार्थियों को भी समानता का अधिकार

हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने कहा, 'जब तसलीमा नसरीन आपकी बहन हो सकती हैं तो रोहिंग्या भी आपके भाई हो सकते है, मिस्टर मोदी.' उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार को रोहिंग्या को शरणार्थी के रूप में देखना चाहिए न कि मुसलमान के रूप में.'

ओवैसी ने कहा, 'भारत ने तिब्बत, श्रीलंका और बंगलादेश के चकमा शरणार्थियों को शरण दी.' उन्होंने कहा, 'जब यह बताया गया कि श्रीलंकाई शरणार्थी आतंक में हिस्सा ले रहे है, क्या किया गया था? उन्हें एक शिविर से दूसरे शिविर में स्थानांतरित कर दिया गया.'

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है और यह शरणार्थियों पर भी लागू होता है. ओवैसी ने कहा, 'बीजेपी सरकार कहती है कि हम राहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजेंगे. हम भारतीय प्रधानमंत्री से यह पूछना चाहते है कि किस कानून के तहत आप उन्हें वापस भेजेंगे.'