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राम मंदिर मुद्दे पर संघ के बयानों से क्या दबाव में आएगी सरकार, कब खुलेंगे पत्ते?

अध्यादेश या कानून की मांग पर आगे बढ़ने में कई पेचीदगी हैं, लिहाजा पार्टी और सरकार इस मुद्दे पर संघ के मंदिर राग के बावजूद संभलकर चल रही है.

Amitesh

आरएसएस के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया है. संघ की मुंबई में तीन दिन की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बात करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा, ‘राम सबके हृदय में रहते हैं पर वो प्रकट होते हैं मंदिरों के द्वारा. हम चाहते हैं कि मंदिर बने. काम में कुछ बाधाएं अवश्य हैं और हम अपेक्षा कर रहे हैं कि न्यायालय हिंदू भावनाओं को समझकर निर्णय देगा.’

संघ में नंबर दो की हैसियत रखने वाले भैयाजी जोशी ने राम मंदिर के मुद्दे पर फिर से संघ के रुख को स्पष्ट भी किया और सुप्रीम कोर्ट से हिंदूओं की आस्था का ख्याल रखने की अपील भी कर दी. भैया जी जोशी का यह बयान संघ की तरफ से तीन दिन में मुंबई में मंथन के बाद आया है. मंथन में हालाकि पर्यावरण से लेकर संगठन विस्तार और दूसरे सांगठनिक मुद्दों पर भी गंभीर चर्चा हुई, लेकिन, इस बैठक की शुरुआत से लेकर अंत तक अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का मुद्दा ही छाया रहा.


संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अपने भाषण में जबसे मंदिर निर्माण के लिए कानून का रास्ता अख्तियार करने की मांग की है तभी से इस मुद्दे ने और जोर पकड़ लिया है. कई साधु-संतों से लेकर विश्व हिंदू परिषद की तरफ से इस मामले को गरमाने और कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज किया जा रहा है. संघ के रुख के बाद बीजेपी के फायर ब्रांड नेता भी मैदान में कूद पड़े हैं.

यहां तक कि बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने तो अब इस मुद्दे पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान कर दिया है. यह सब संघ की सहमति के बगैर संभव नहीं है. मतलब साफ है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से जो लाइन मंदिर मुद्दे को लेकर तय कर दी गई है, संघ के सभी आनुषंगिक संगठन उसी लाइन पर अब आगे बढ़ रहे हैं.

भैया जी जोशी ने भी एक बार फिर इस मुद्दे पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है. मुंबई बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘दीपावली से पहले खुशखबरी की उम्मीद थी लेकिन मामला अनिश्चितकाल के लिए टल गया है. अगर जरूरत पड़ी तो मंदिर के लिए एकबार फिर आंदोलन होगा.’

संघ परिवार के मुखिया का कानून बनाने की मांग करना और संघ के नंबर दो हैसियत वाले भैयाजी जोशी की तरफ से आंदोलन तेज करने की धमकी देना साफ संकेत दे रहा है कि अब संघ मंदिर मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए काफी लंबे वक्त तक इंतजार करने के मूड में नहीं है. संघ सूत्रों के मुताबिक, उन्हें भी लग रहा है कि इस वक्त मोदी सरकार पूर्ण बहुमत में है, लिहाजा इससे बेहतर माहौल नहीं हो सकता.

दूसरी तरफ, मोदी सरकार के कार्यकाल के साढ़े चार साल पूरे हो चुके हैं. यानी सरकार की तरफ से अध्यादेश या कानून की राह पर आगे बढ़ने से उसके विकास और बाकी काम-काज पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. संघ सूत्रों का कहना है कि पिछले साढ़े चार साल तक संघ ने सरकार के काम-काज में दखल नहीं दिया है. लेकिन, अब इस मुद्दे को उठाकर अपने मूल मुद्दे को फिर से चर्चा में लाने और उस पर अमल में लाने की कोशिश की जाएगी. भैया जी जोशी ने भी भागवत के बयान को आगे बढ़ाते हुए मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग को दोहराया है.

भैयाजी जोशी

भैयाजी जोशी का बयान तीन दिन की बैठक के आखिरी दिन आया है, जिसके पहले बैठक के तीसरे दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात भी हुई है. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में देश में मौजूदा सियासी हालात के अलावा संगठन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. इसके अलावा पांच राज्यों के विधानसभा और अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए भी संघ के सहयोग पर भी चर्चा हुई है.

संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ अमित शाह की मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जबकि देश भर में संघ परिवार की तरफ से मंदिर मुद्दे को गरमाया जा रहा है. मंदिर मुद्दे पर भागवत की तरफ से कानून बनाने की मांग के बाद अमित शाह की उनसे यह पहली मुलाकात थी, लिहाजा इसको लेकर चर्चा और तेज है.

फिलहाल अब गेंद सरकार के पाले में है. इस वक्त बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तसीगढ़ में चुनाव जीतना काफी अहम है. अगर इन तीन राज्यों में बीजेपी के प्रदर्शन पर काफी हद तक अगले लोकसभा चुनाव का माहौल निर्भर करेगा. ऐसे वक्त में बीजेपी मंदिर मुद्दे पर सोच-समझ कर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है. पार्टी को भी लगता है कि संघ परिवार की तरफ से इस मुद्दे को गरमाने का सियासी फायदा उसे ही होगा, लेकिन, अध्यादेश या कानून की मांग पर आगे बढ़ने में कई पेचीदगी हैं, लिहाजा पार्टी और सरकार इस मुद्दे पर संघ के मंदिर राग के बावजूद संभलकर चल रही है.