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नोटबंदी पर यूटर्न के बाद नीतीश कुमार ने 'विशेष राज्य' के लिए लगाया जोर

नीतीश कुमार के मुताबिक, 15वें वित्त आयोग से बिहार को कोई फायदा नहीं होगा उल्टे टैक्स फंड में आवंटन कम हो जाएगा

Alok Kumar

नोटबंदी के दौरान इस पहल की तारीफ करने वाले नीतीश कुमार के विचार अब बदल गए हैं. बिहार के सीएम ने तीन दिन पहले नोटबंदी से होने वाले फायदों पर सवाल उठाए. मंगलवार को एकबार फिर उन्होंने केंद्र की आलोचना करते हुए बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग की.

15वें वित्त आयोग से भी नाखुश


नीतीश कुमार ने 15वें वित्त आयोग से होने वाले फायदों पर भी सवाल उठाया है. 15वें वित्त आयोग के प्रस्तावों के कारण दक्षिण भारत के राज्य केंद्र से नाराज हैं. इसके मुताबिक, केंद्र सरकार ने राज्यों को टैक्स फंड आवंटन करने के लिए 1971 के बजाय 2011 की जनगणना के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा है. नीतीश कुमार ने कहा कि आबादी के नए आंकड़ा इस्तेमाल करने से बिहार को कोई फायदा नहीं होगा. उल्टे इससे बिहार के लिए आवंटन घट जाएगा.

क्या है नीतीश कुमार की डिमांड?

नीतीश कुमार केंद्र सरकार से बिहार के लिए स्पेशल राज्य का दर्जा मांग रहे हैं. आरजेडी चीफ तेजस्वी यादव ने जेडीयू के साथ गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार पर बार-बार यह आरोप लगाया है कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद वह स्पेशल राज्य की मांग भूल चुके हैं.

क्यों मिलना चाहिए विशेष राज्य का दर्जा?

बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा क्यों जरूरी है इसके लिए नीतीश कुमार ने बिहार स्टेट रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 2000 की तरफ ध्यान खींचा है. नीतीश कुमार ने कहा कि इस एक्ट के तहत प्लानिंग कमीशन के डिप्टी चेयरमैन की अगुवाई में एक स्पेशल सेल का गठन अनिवार्य कर दिया. नरेंद्र मोदी सरकार ने योजना आयोग खत्म करके नीति आयोग का गठन कर दिया. बिहार के सीएम चाहते हैं कि अब नीति आयोग इसी तरह एक स्पेशल सेल का गठन करे.