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बिहार: जेडीयू के 21 नेता भेजे गए पवेलियन अब शरद यादव होंगे बोल्ड?

शरद यादव के लालू-प्रेम पर जेडीयू नेताओं द्वारा खूब तंज कसे जा रहा हैं

Amitesh

जेडीयू ने शरद यादव के करीबी 21 नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया है. शरद यादव के करीबी नेताओं में शुमार किए जाने वाले पार्टी के सीतामढ़ी से पूर्व सांसद अर्जुन राय और पूर्व मंत्री रमई राम पर भी गाज गिरी है.

इसके पहले जेडीयू ने राज्यसभा सांसद अली अनवर को पार्टी से निलंबित कर दिया था. अली अनवर ने बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बनाने का विरोध भी किया था और विपक्षी दलों की बैठक में शिरकत भी की थी. जिसके बाद उनके खिलाफ कारवाई की गई.


लेकिन, अभी शरद यादव पर सीधे कारवाई से जेडीयू कतरा रही है. जेडीयू नेताओं की तरफ से उनके खिलाफ बयान भी दिए जा रहे हैं. उनके लालू-प्रेम पर तंज भी कसा जा रहा है.

लेकिन, उनके लगातार पार्टी विरोधी बयानों के बावजूद पार्टी अभी उनके खिलाफ कारवाई करने के पहले इंतजार के मूड में है. हालांकि, संसदीय दल के नेता के पद से उनकी विदाई कर जेडीयू ने उनको सख्त संदेश दे दिया है.

शरद खेमे के नेताओं पर की गई कार्यवाई के बाद जेडीयू के भीतर की हलचल और तेज हो गई है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव ने अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.

शरद यादव बिहार में महागठबंधन टूटने से नाराज हैं. नाराजगी का आलम ये है कि शरद इस वक्त नीतीश कुमार की खुलकर मुखालफत कर रहे हैं. नीतीश के बीजेपी के साथ जाने को लेकर शरद यादव इस कदर खफा हैं कि वो अब अपना अलग रास्ता अख्तियार करने का मन बना चुके हैं.

लेकिन, शरद की कोशिश खुद अलग राह पकड़ने के बजाए नीतीश को ही अलग राह पर भेजने की है. दरअसल, शरद यादव इस वक्त पार्टी पर दावा कर रहे हैं. उनका दावा है कि पार्टी के 17 में से 14 राज्यों की पूरी प्रदेश इकाई उनके साथ है.

फोटो: पीटीआई

केरल अध्यक्ष और सांसद वीरेंद्र कुमार उनके साथ हैं. दावा है महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष उनके साथ हैं. शरद खेमे की तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि केवल बिहार में ही नीतीश कुमार की पकड़ है जबकि दूसरे राज्यों में पार्टी पर पकड़ शरद की है.

अब इसी दावे के बाद शरद यादव के खेमे की तरफ से चुनाव आयोग जाने की तैयारी हो रही है. शरद यादव के खेमे की तरफ से पार्टी और चुनाव चिन्ह पर जल्द ही अपना दावा किया जा सकता है.

शरद यादव इस वक्त नीतीश कुमार से आर-पार के मूड में हैं. शरद को लगता है कि पार्टी के भीतर उनकी उपेक्षा की गई है. पहले पार्टी के अध्यक्ष पद से उनकी विदाई हुई और फिर पार्टी के फैसले में भी उनसे रायशुमारी नहीं होती है.

19 अगस्त को जेडीयू की नेशनल एक्ज्क्युटिव की पटना में बैठक हो रही है. इस बैठक में जेडीयू के एनडीए में शामिल होने के फैसले पर भी औपचारिक तौर पर मुहर लग जाएगी.

इसी बैठक में शरद यादव के भविष्य को लेकर भी फैसला हो जाएगा. लेकिन, उसके दो दिन पहले ही शरद यादव गैर-बीजेपी दलों के साथ अलग बैठक कर अपनी भावी रणनीति का खुलासा कर सकते हैं.

जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा, 'शरद यादव की नीयत में ही खोट है. अगर उनकी नीयत साफ होती तो 19 अगस्त की पार्टी की नेशनल एक्जक्युटिव की बैठक का इंतजार करते. लेकिन, 17 अगस्त को ही अलग से बैठक करने से उनकी नीयत का पता चल जाता है.'

जेडीयू के भीतर इस वक्त नीतीश कुमार बनाम शरद यादव की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. अब दोनों के बीच सुलह के आसार भी नहीं दिख रहे हैं.

लेकिन, अब लड़ाई पार्टी पर कब्जे को लेकर हो रही है. शरद यादव चाहते हैं कि जेडीयू पर कब्जा कर इसे महागठबंधन का हिस्सा बरकरार रखा जाए. लेकिन, नीतीश कुमार की अगुआई में दूसरा धड़ा चाहता है कि शरद को अब बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.

पार्टी के विधायकों और सांसदों पर पकड़ को देखते हुए नहीं लग रहा है कि जेडीयू के मौजूदा अध्यक्ष नीतीश कुमार को शरद यादव की तरफ से दी गई चुनौती टिक पाएगी. लेकिन, शरद अपनी तरफ से अब कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे.

शरद यादव लगातार पार्टी लाइन के खिलाफ बोल रहे हैं. मोदी-सरकार और नीतीश सरकार के खिलाफ विरोधी खेमे में दिख रहे हैं. 27 अगस्त को पटना में होने वाली आरजेडी की रैली में उनके शामिल होने की चर्चा है. लेकिन, नीतीश कुमार शायद तबतक इंतजार ना करें. उससे पहले ही शरद यादव का निलंबन संभव है.