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संसद खुद को कैसे सुधारेगी जब देश में एक तिहाई नेता हैं 'क्रिमिनल'

भारतीय राजनीति में एक भी ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें कोई आपराधिक छवि वाला नेता ना हो. ऐसे में असल सवाल यह है कि क्या संसद खुद को सुधारने के लिए खुद ही सख्त नियम बना पाएगी?

Pratima Sharma

सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने का फैसला संसद के विवेक पर छोड़ दिया है. अदालत ने साफ कहा है, 'किसी नेता के खिलाफ चार्जशीट दायर होने के आधार पर उसे चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता है.'

इस फैसले का स्वागत करते हुए आरजेडी के नेता और पार्टी प्रवक्ता मनोज झा का कहना है कि यह बिल्कुल सही फैसला है. उन्होंने कहा, 'आज राजनीति का जो स्तर है उसमें राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए किसी भी नेता को फंसाया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि किसी नेता का राजनीतिक करियर खराब करने के लिए उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने में खूब तेजी दिखाई जाती है. मनोज झा आरजेडी के नेता हैं जिनके चीफ लालू प्रसाद यादव फिलहाल भ्रष्टाचार के मामले में रांची की जेल में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानकर संसद दागी नेताओं को चुनाव से दूर रखने के लिए क्या फैसला लेता है यह आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल हम देश भर के उन राज्यों पर नजर डालते हैं जहां दागी नेताओं की भरमार है.


क्या है दागी नेताओं का आंकड़ा?

देश में दागी एमपी-एमएलए की संख्या बढ़ती जा रही है. फिलहाल कुल नेताओं में से करीब एक तिहाई संख्या दागी नेताओं की है. यानी हर तीन में से एक नेता पर कोई ना कोई आपराधिक केस चल रहा है. देश में कुल 4896 नेता हैं. इनमें से 1765 एमपी-एमएलए पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. सरकार ने मार्च 2018 में ये आंकड़े दिए थे. इन आंकड़ों के मुताबिक, उन 1765 एमपी-एमएलए पर कुल 3065 क्रिमिनल केस चल रहा है.

कहां हैं सबसे ज्यादा दागी नेता?

अगर आप से पूछा जाए कि देश के किस राज्य में सबसे ज्यादा क्रिमिनल हैं तो शायद आपका जवाब बिहार होगा. लेकिन ऐसा नहीं हैं. सबसे ज्यादा अपराधी छवि वाले नेता यूपी में हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 248 नेता दागदार हैं. वहां के नेताओं पर कुल 539 केस दर्ज हैं.

इसके बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है. यहां 178 नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस हैं. इनपर 324 क्रिमिनल केस चल रहे हैं. आपराधिक छवि वाले नेताओं के मामले में बिहार तीसरे नंबर पर है. यहां 144 नेताओं पर अपराधी होने का ठप्पा लगा है. इन 144 नेताओं पर 306 मामले दर्ज हैं.

बिहार के बाद चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल है. वहां 139 नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. पश्चिम बंगाल में अपराध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां पंचायत स्तर के चुनावों में भी जमकर खून-खराबा होता है. यहां के 139 नेताओं पर अभी 303 मामले चल रहे हैं. इसके बाद आंध्र प्रदेश है जहां, 132 नेताओं पर करीब 140 आपराधिक मामले दर्ज हैं. छठे नंबर पर 114 दागी नेताओं के साथ केरल है. इनपर 373 क्रिमिनल केस हैं.

संसद में एक तिहाई दागी एमपी-एमएलए के होने के बावजूद अगर इस मामले को सही तरीके से उठाया गया तो निश्चित तौर पर जनता का भरोसा बढ़ेगा. हालांकि अभी भारतीय राजनीति में एक भी ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें कोई आपराधिक छवि वाला नेता ना हो. ऐसे में असल सवाल यह है कि क्या संसद खुद को सुधारने के लिए खुद ही सख्त नियम बना पाएगी? संसद अगर इन दागदार नेताओं के खिलाफ सख्त कानून लाकर कार्रवाई करती है तो बेशक भारतीय राजनीति का चेहरा चमकाया जा सकता है.