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कांग्रेस की चिंतन बैठक: अध्यक्ष बनने के बाद राहुल अब ज्यादा ‘सीरियस’ नजर आने लगे हैं?

कांग्रेस की चिंतन बैठक से साफ हो गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब सीरियस होकर काम कर रहे हैं.

Amitesh

अहमदाबाद-मेहसाणा हाईवे पर एक रिजॉर्ट में गुजरात कांग्रेस के सभी दिग्गज जमा हुए हैं. प्रभारी महासचिव अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी की मौजूदगी में चर्चा गुजरात चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर हो रही है. इस चिंतन बैठक में छान-बीन इस बात को लेकर हो रही है कि आखिर पार्टी के हाथ से इस बार बाजी फिसल कैसे गई.

मंथन इस बात पर हो रहा है कि गुजरात में सरकार के खिलाफ अलग-अलग वर्गों के विरोध के बावजूद बीजेपी को पटखनी देने में हम कामयाब क्यों नहीं हो सके. क्योंकि कांग्रेसी नेताओं को भी पता है कि ईवीएम को दोष देकर बच निकलने की शैली से कामयाबी नहीं मिल सकती है.


18 दिसंबर को गुजरात का चुनाव परिणाम आने के महज दो दिनों के भीतर ही कांग्रेस की गुजरात में चिंतन बैठक इस बात का एहसास कराने वाली है कि कांग्रेस इस बार पहले की तरह हार के कारणों पर पर्दा डालने वाली नहीं है. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की तरफ से इस बैठक का निर्देश देना बदलते कांग्रेस का एहसास करा रही है.

बुधवार से शुरू हुई इस चिंतन बैठक में पार्टी के सभी नए-नवेले विधायकों के साथ-साथ पार्टी के बड़े नेता और कार्यकर्ता शिरकत कर रहे हैं. नए विधायकों का स्वागत भी किया गया. लेकिन हारे हुए प्रतिनिधियों से हार के कारणों का आकलन भी किया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी  23 दिसंबर को इस बैठक में भाग लेने के लिए गुजरात जा रहे हैं.

गुजरात चुनाव परिणाम आने के महज हफ्ते भर के भीतर ही राहुल गांधी का गुजरात जाना एक संकेत दे रहा है. संकेत है उस पुरानी छवि को तोड़ने का जिसमें अबतक कहा जाता है कि राहुल गांधी महज चुनाव के वक्त ही उस राज्य में जाते हैं. लेकिन चुनाव बाद फिर उस राज्य को भूल जाते हैं.

इस बार राहुल गांधी ने चुनाव में हार के बाद भी एक आक्रामक रुख अख्तियार किया है. गुजरात में बीजेपी से हार जाने के बावजूद राहुल गांधी ने इसे बीजेपी के लिए बड़ा झटका बताया. अब चिंतन बैठक के जरिए एक बार फिर अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं में नई जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं.

एक तरफ जहां जीत के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और सांसदों को 2019 की लड़ाई के लिए अभी से ही तैयार रहने को लेकर आगाह कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राहुल गांधी को भी ऐसा लगने लगा है कि गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को मिली सफलता को पैमाना मानकर पूरे देश में अगर किसानों और गरीबों के मुद्दे पर सरकार को घेरा जाए तो सरकार के लिए मुश्किल हो सकती है.

इस बार गुजरात चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा पटेल फैक्टर को लेकर हो रही थी. लेकिन पटेलों के अलावा सौराष्ट्र के उन क्षेत्रों में बीजेपी को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है, जहां कोली और मछुआरे समाज के अलावा किसानों का दबदबा है. राहुल गांधी को इस बात का एहसास हो गया है कि कांग्रेस गुजरात में ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी को पटखनी देने में कामयाब हो गई है.

राहुल गांधी ने भी गुजरात चुनाव परिणाम के बाद समीक्षा बैठक बुलाकर पूरे देश के पार्टी कैडर्स को भी एक संदेश दे दिया है. एक बार फिर से राहुल गांधी की तरफ से कोशिश है गांव, गरीब और किसान के मुद्दे को उठाकर सरकार को गांवों की उपेक्षा का आरोप लगाकर घेरा जाए.

गुजरात में राहुल गांधी के पहुंचने से पहले ही समीक्षा के दौरान हार के कई पहलुओं पर चर्चा की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस बार चुनाव में जिन युवा तुर्कों की मदद से सरकार विरोधी माहौल बना रही थी. उसी मुद्दे को लेकर ज्यादा चर्चा हो रही है. हार्दिक पटेल के साथ आने से कांग्रेस को फायदा दिख रहा है. लिहाजा कांग्रेस के नेता पटेल फैक्टर पर कुछ खास बोलने से परहेज कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि अभी आगे भी हार्दिक पटेल के बीजेपी विरोधी अभियान का फायदा मिल सकता है. हालांकि हार्दिक ने खुद चुनाव नहीं लड़ा था.

दूसरी तरफ, अल्पेश ठाकोर के चलते ओबीसी समुदाय और ठाकोर मतदाताओं के कांग्रेस की तरफ झुकाव नहीं होने पर भी चर्चा हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल होकर खुद तो चुनाव जीत गए. लेकिन उनके चलते ठाकोर मतदाता एक तरफा कांग्रेस के साथ नहीं आए. कई इलाकों में ठाकोर मतदाताओं ने बीजेपी का भी साथ दिया है.

पार्टी के भीतर मंथन के दौरान इस बात पर लगातार चर्चा हो रही है कि पटेल वोट के चक्कर में कहीं हमारे हाथ से ओबीसी और दलित वोटर तो नहीं खिसक रहे हैं. क्योंकि इस बार गुजरात में जीते कुल 49 पटेल विधायकों में से 32 बीजेपी के हैं जबकि 17 ही कांग्रेस के हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधानसभा चुनाव परिणाम से सबक लेकर आगे की रणनीति अभी से ही बना लेना चाहती है.

लेकिन कांग्रेस को गुजरात में कुछ नए चेहरों को आगे बढ़ाना होगा, वर्ना हारे हुए शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया के भरोसे सारी रणनीति फिर से धरी की धरी रह जाएगी. लेकिन कांग्रेस की चिंतन बैठक से साफ है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब सीरियस होकर काम कर रहे हैं.