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फोटोजर्नलिस्ट के नजरिए से जानिए कैसे हैं आडवाणी

कई बार मैंने उनके छवि के लिहाज से निगेटिव फोटो खींची. लेकिन कभी उन्होंने नाराजगी नहीं जाहिर की

Anand Dutta

इंडियन एक्सप्रेस अखबार के सीनियर फोटोजर्नलिस्ट अनिल शर्मा की खींची एक तस्वीर ने हाल के दिनों में देश के राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा बटोरी थी. वह थी लालकृष्ण आडवाणी और राहुल गांधी की गुफ्तगू. दिन था 31 अक्टूबर, मौका था सरदार वल्लभ भाई पटेल जन्मदिन समारोह, जगह थी संसद भवन. उस फोटो के आने के बाद राजनीतिक पंडितों ने बीजेपी-कांग्रेस की राजनीति को लेकर काफी चुटकी ली.

आठ नवंबर पूर्व उप प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है. आडवाणी के सहयोगी, उनको कवर करते आ रहे पत्रकार सहित अन्य लोग चर्चा करेंगे, उनके चरित्र के विभिन्न पहलुओं पर हर साल की तरह इस साल भी व्याख्या होगी. कम या ज्यादा अलग मसला है. ऐसे में फोटोजर्नलिस्ट अनिल शर्मा के नजरिए से जानने की कोशिश की इस नेता के बारे में.


अनिल शर्मा बताते हैं कि संसद भवन मैं 2000 से कवर कर रहा हूं. आडवाणी जी को उससे पहले से कवर कर रहा हूं. हाल का जो वाकया है वह किसी भी राजनेता के लिए, आम जन के लिए सीखने लायक है. संसद भवन में सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन समारोह का आयोजन किया गया था. सभी बड़े राजनेता पहुंचे हुए थे. पीएम मोदी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के आने का इंतजार हो रहा था. लालकृष्ण आडवाणी पहुंच चुके थे. वे चुपचाप बैठे थे.

इस बीच राहुल गांधी आते दिखाई दिए. उनसे किसी और ने बातचीत नहीं की. आडवाणी जी ने जैसे ही उन्हें आते देखा, वे खुद उठ खड़े हुए. राहुल गांधी के सामने आने पर उन्होंने उठकर उनका अभिवादन किया. हाल-चाल लिया. दोनों में लगभग दस मिनट की बातचीत हुई. यह मैं सीखने लायक इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज कल माहौल यह हो गया है कि विपक्ष मतलब भारत-पाकिस्तान.

हमेशा सोनिया गांधी का उठकर अभिवादन किया है आडवाणी ने 

अनिल शर्मा कहते हैं कि संसद कवर करने के दौरान मैंने ऐसे कई वाकये देखे हैं. जब यूपीए की सरकार थी, किसी समारोह में राजनेता जमा होते थे, जब सोनिया गांधी आती थीं तो आडवाणी जी उनका भी उठकर अभिवादन करते थे. कई बार दोनों आपस में बैठकर बातचीत भी करते दिखे.

आडवाणी और राहुल की फोटो पर अनिल शर्मा कहते हैं ऐसे फोटो का दूसरे दिन कोई मतलब नहीं होता. लेकिन जिस दिन इसे खींचा गया उससे पहले गुजरात में मोदी और राहुल के बीच शब्दों के बाण कुछ अधिक चल रहे थे. ऐसे में राहुल गांधी का लालकृष्ण आडवाणी के साथ बातचीत करना, राजनीतिक चुहल तो जरूर थी.

अनिल शर्मा ऐसा ही एक और वाकया बताते हैं. कहते हैं - नरेंद्र मोदी पीएम बन गए थे. बीजेपी की पार्टी मीटिंग संसद भवन में हर मंगलवार हुआ करती है. उसमें आडवाणी जी भी पहुंचे थे. मीटिंग खत्म होने के बाद पहले वह अपनी कार में बैठ निकले. तभी पीएम के आने का रूट लग गया. सभी को रोक दिया गया. उसमें आडवाणी जी की गाड़ी भी रोक दी गई. वह इंतजार करते दिखे.

मैंने यह फोटो खींच ली. अखबार में छपी भी. अगले दिन मेरे एक सहयोगी उनसे मिलने गए थे. तब उन्होंने मेरे सहयोगी से कहा था कि ये फोटो तो खींचने की जरूरत नहीं थी. अब पीएम हैं तो वे पहले जाएंगे ही. हालांकि मेरे लिए इस फोटो का राजनीतिक मतलब था.

पहली बार उनके पारिवारिक समारोह में की थी फोटोग्राफी 

अनिल शर्मा बताते हैं कि सबसे पहले आडवाणी जी को करीब से देखने या फिर राजनीति के इतर उनका अलग चेहरा तब देखने को मिला, जब उनके घर में एक शादी समारोह था. बात 91 के आसपास की है. उस वक्त मैं फ्रीलांस फोटोग्राफर था. मेरे पास किसी परिचित का फोन आया कि आडवाणी जी के घर में शादी समारोह है, क्या फोटो खींच देगा?

मैंने पूछा कुछ पैसे-वैसे मिल जाएंगे तो जरूर खींच दूंगा. उन्होंने कहा हां- हां क्यूं नहीं मिलेगा. उस दौरान लगातार चार दिन तक उनके घर में फोटोग्राफी की थी. बिल्कुल एक बाप की तरह सबकुछ भूलकर परिवार के एक-एक सदस्यों का खुद खयाल रख रहे थे. एक-एक तैयारी का जायजा ले रहे थे.

17 सालों से संसद कवर कर रहे इस फोटोजर्नलिस्ट ने एक और वाकये का जिक्र किया. बकौल शर्मा- आडवाणी के यहां का होली मिलन समारोह राजनीतिक हलकों में हमेशा से चर्चा का विषय रहा है.

होता यह था कि पहले वाजपेयी जी के यहां लोग जुटते थे. इसके तुरंत बाद अटल जी अपने यहां फंक्शन खत्म कर आडवाणी जी के घर पहुंचते थे. अटल जी के यहां हल्की गुलाल वाली होती थी. असली हुड़दंग आडवाणी जी के यहां होती थी. हम कैमरा वाले रंगों से भरपूर बचने की कोशिश करते थे. लेकिन पता चलता था कभी पीछे से आडवाणी जी तो कभी उनके परिवार वाले रंग उड़ेल देते.

निगेटिव फोटो खींचने के बाद भी कभी नाराज नहीं हुए 

कई बार मैंने उनके छवि के लिहाज से निगेटिव फोटो खींची. लेकिन कभी उन्होंने नाराजगी नहीं जाहिर की. जब कभी उन्हें कुछ कहना होता, शब्दों का बेहतर इस्तेमाल कर उसके बारे में बातचीत करते थे.

अनिल शर्मा कहते हैं कि आडवाणी के व्यक्तित्व के कई रंग देखे हैं मैंने. लेकिन जिन्ना प्रकरण ने मुझे चौंका दिया था. कट्टर हिन्दुत्व छवि वाले राजनेता जिसको मैं इतने दिनों से लगातार उसी छवि को दिमाग में रखकर कवर करता रहा, वे अचानक पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर पहुंच गए. उनकी तारीफ में कसीदे गढ़ने लगे.

शर्मा जी बताते हैं- कुछ दिन पहले मैंने एक तस्वीर खींची थी, जिसमें पीएम मोदी कुर्सी पर बैठे हैं और गृहमंत्री राजनाथ सिंह-वित्त मंत्री अमित शाह  बातचीत करते दिख रहे हैं. उसके अगले दिन जब वह संसद भवन परिसर पहुंचे तो जहां फोटोजर्नलिस्ट खड़े रहते हैं, वहां बीजेपी के कई सांसद आए और पता करने लगे कि अनिल शर्मा कौन हैं. फिर उन सबने आकर बधाई दी कि बढ़िया फोटो खींची है.

वो हंसते हुए बताते हैं कि फोटोजर्नलिस्टों की बातचीत उनसे बहुत कम हो पाती है. क्योंकि हमारे उनके बीच कमांडोज आ जाते हैं.

सभी फोटो - अनिल शर्मा/इंडियन एक्सप्रेस