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2019 के 'महाभारत' में चुनाव प्रचार नहीं कर सकेंगे लालू यादव: सूत्र

लालू यादव को न तो सीबीआई कोर्ट और न ही प्रवर्तन निदेशालय कोर्ट से बेल मिली. इससे स्पष्ट है कि अब इन मामलों में लालू यादव को जब तक सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिलती तब तक वो जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे

FP Staff

चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. शनिवार को रेलवे होटल घोटाले मामले में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव को सीबीआई की विशेष अदालत से रेगुलर बेल मिल गई. साथ ही उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दायर इसी मामले में भी अंतरिम जमानत मिली.

मगर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू यादव को इन दोनों जगहों से राहत नहीं मिली. उन्हें न तो सीबीआई कोर्ट और न ही प्रवर्तन निदेशालय कोर्ट से बेल मिली. इसलिए अब लालू को आने वाले समय में चारा घोटाले के 3 मामलों में सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेनी होगी. साथ ही उन्हें आईआरसीटीसी मामले में भी अब दिल्ली की सीबीआई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करनी होगी. इससे यह स्पष्ट है कि इन 5 मामलों में लालू यादव को जब तक जमानत नहीं मिलती तब तक वो जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे.

एनडीटीवी के अनुसार लालू यादव की मुश्किल है कि उन मामलों में जहां उन्हें कम सजा हुई है सीबीआई ने वहां उनकी सजा बढ़ाने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. चारा घोटाले के 3 मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद लालू यादव पिछले साल दिसंबर से जेल में बंद हैं. लालू के वकील निजी तौर पर मानते हैं कि 5 मामलों में जमानत याचिका लंबित होने से इस बात की उम्मीद कम है कि वो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सकेंगे.

झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड HC ने ठुकराई जमानत याचिका, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला

शनिवार को झारखंड हाईकोर्ट ने तीनों मामलों की सुनवाई के दौरान 72 वर्षीय नेता की जमानत याचिका ठुकरा दी थी. अब उनकी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

सीबीआई के अधिकारी यह कहते हैं कि झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई में वक्त लगेगा. संभावना है कि सीबीआई कोर्ट में विरोध का मुख्य आधार यही रखेगी कि उन्होंने सजा का जरूरी 50 प्रतिशत समय जेल में नहीं बिताया है. जो कि ढाई साल होगा.

हालांकि लालू यादव के वकील चित्तरंजन सिन्हा ने कहा, हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमारी जमानत याचिका को मंजूर करेगा. उन्हें पूर्व में ऐसे ही एक मामले में जमानत मिली है.'

इन परिस्थितियों में लालू यादव का अगले साल मार्च-अप्रैल तक रिहा होना मुश्किल दिखता है. मेडिकल ग्राउंड पर यदि उन्हें बेल मिलती भी है तो उसकी शर्तों में अदालत शायद ही उन्हें चुनाव प्रचार में शामिल होने की अनुमति दे. अगर ऐसा हुआ तो लालू पहली बार 1977 के बाद चुनाव प्रचार से अलग रहेंगे.