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आधार की अनिवार्यता रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उठे ये सवाल

सरकार ने आधार मामलें में सुप्रीम कोर्ट से आधार मसले पर समय निर्धारित करने की अपील की

Ravishankar Singh

आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएम खानविलकर की संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड की आनिवार्यता को लेकर बुधवार को सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट में आधार मसले पर सुनवाई शुरू होते ही देश के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ के समक्ष में कहा, ‘क्योंकि अगले महीने की शुरुआत में ही अयोध्या मसले पर भी सरकार पक्ष रखेगी, इसलिए पीठ आधार मसले पर भी समय निर्धारित कर दे.’


भारत के अटॉर्नी जनरल की इस दलील का याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने विरोध किया. श्याम दीवान ने कोर्ट में कहा कि हम अगले हफ्ते ही बता सकते हैं कि आधार मसले पर बहस में कितना वक्त लगेगा.

श्याम दीवान ने पीठ के सामने दलील दी कि आधार कार्ड को लेकर इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 27 याचिकाएं दाखिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में पूरे आधार प्रोजेक्ट को ही चुनौती दी गई है. अगर सरकारी योजनाओं में भी आधार को विकल्प के तौर पर थोपा जाता है तो यह नागरिकों का संविधान नहीं बल्कि राज्य के संविधान जैसा होगा.

सुनवाई के दौरान वकील श्याम दीवान ने कहा है कि आधार कार्ड की उपयोगिता चुनौती के दायरे में है. इस प्रोजक्ट की कोई निश्चित अवधि नहीं है. यह एक लगातार और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है. आधार कार्ड में बायोमैट्रिक डेट से जुड़ी कई खामियां हैं और यह सिस्टम देश के लिए भरोसेमंद नहीं है. यह सिर्फ संभावनाओं के आधार पर चलता है. श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट में जिरह करते हुए सरकार से पूछा है कि आखिर आधार को इनकम टैक्स रिटर्न भरने, बैंक खाते और मोबाइल नंबर से लिंक करने की क्यों अनिवार्यता करने की बात कही जा रही है.

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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान श्याम दीवान ने आधार कार्ड को लेकर कई सवाल खड़े किए.

पहला सवाल, आधार कार्ड संवैधानिक है या नहीं, ये पीठ को तय करना है? 

दूसरा सवाल, क्या आधार कार्ड कानून के नियमों के मुताबिक है? 

तीसरा सवाल, आधार कार्ड को मनी बिल की तरह संसद में क्यों पेश किया गया? 

चौथा सवाल, क्या भारत जैसे मजबूत लोकतंत्र देशों में किसी को ये अधिकार नहीं मिलनी चाहिए कि वह पहचान पत्र में फिंगर प्रिंट या शरीर के किसी हिस्से का निशान दे या नहीं? 

पांचवां सवाल, इस डिजिटल युग में कोई अपने आपको सुरक्षित रख सकता है या नहीं? 

छठा सवाल, आधार कार्ड की सारी जानकारी साझा करना राष्ट्रीय सुरक्षा लिए खतरा तो नहीं? 

 सातवां सवाल, बैंक अकाउंट और मोबाइल के लिए आधार कार्ड की आनिवार्यता क्यों? साथ ही सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को आधार से लिंक करना क्यों अनिवार्य? 

आठवां सवाल, यूजीसी के तहत चलने वाले कुछ प्रोग्राम्स में आधार को क्यों अनिवार्य किया गया है?

कुछ दिन पहले हीं यूआईडीएआई के पूर्व प्रमुख नंदन निलेकणी ने कहा था कि आधार कार्ड के बलबूते पर भारत ने जो कुछ अभी तक हासिल किया है, वह किसी उप्लब्धि से कम नहीं है. नंदन निलेकणी ने आधार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाले लोगों को अपने एक ट्वीट के जरिए काफी खरी-खोटी सुनाई थी.

दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार भी आधार कार्ड को लेकर लगातार सतर्कता बरत रही है. आधार कार्ड को और विश्वसनीय बनाने को लेकर सरकार की कई अथॉरिटी नए-नए प्रयोग और कई तरह के सिक्योरिटी लेयर तैयार करने में लगी हुई है.

कुछ दिन पहले ही आधार डाटा को सुरक्षित रखने के लिए यूआईडीएआई वर्चुअल आईडी और फेस रिकॉग्निनाइजेशन की सुविधा देने की घोषणा भी की है. देश में वर्चुअल आईडी की सुविधा अगले तीन-चार महीनों में शुरू हो जाएगी. ऐसा कहा जा रहा है कि यह सुविधा एक जुलाई से मिलनी शुरू हो जाएगी. इस सुविधा के आने के बाद आधार कार्ड की सुरक्षा और मजबूत हो जाएगी.

गौरतलब है कि समय-समय पर आधार कार्ड को लेकर सवाल उठते रहे हैं. अभी हाल ही एक अंग्रेजी अखबार के रिपोर्टर ने कुछ रुपयों में ही करोड़ों आधार डेटा की जानकारी हासिल करने की रिपोर्ट प्रकाशित की थी. अंग्रेजी अखबार के रिपोर्टर ने अपनी तहकीकात में खुलासा किया था कि एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपए में यह जानकारी खरीदी जा सकती है. अखबार ने दावा किया था कि हमारे पास लगभग 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया है.

अखबार के रिपोर्टर ने अपनी तहकीकात में एक एजेंट को ढ़ूंढ निकालने का दावा किया था. उस एजेंट ने रिपोर्टर को मात्र 10 मिनट में ही एक गेटवे और उस गेटवे का लॉग-इन पासवर्ड दे दिया. जिसके बाद सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति की निजी जानकारी हासिल की जा सकती थी. इतना ही नहीं मात्र 300 रुपए अधिक देने पर आधार कार्ड की जानकारी प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया.

जब यह खबर सामने आई तो देश में आधार कार्ड की विश्वसनीयता को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई. भारत की जांच एजेंसियों ने भी इस बारे में तहकीकात शुरू कर दी. यूआईडीएआई को अखबार के रिपोर्ट को खंडन करते हुए उस रिपोर्टर और अखबार पर मामला दर्ज करा दिया.

कहा जाता है कि यूआईडीएआई ने इस खबर के सामने आने के बाद ही आधार को और सुरक्षित करने के लए वर्चुअल आईडी और फेस रिकॉग्नाइजेशन की सुविधा लाने की बात कही है. आधार में फिंगर प्रिंट को लेकर बड़े पैमाने पर मिल रही शिकायतों के बाद सरकार ने आधार कार्ड बनाने के दौरान वेरिफिकेशन के तरीके में बदलाव के संकेत भी दे दिए हैं. आखिरकार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकार(यूआईडीएआई) ने चेहरे के जरिए भी वेरिफिकेशन की अनुमति देकर सुप्रीमकोर्ट में हो रही फजीहत से बचने का तरीका ढूंढ निकाला है.