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अलविदा 2018: वो 5 विवादित बयान, जिनसे शर्मसार हुई भारतीय राजनीति

पांच ऐसे विवादित बयान इस रिपोर्ट में हैं जिनसे देश की राजनीति कलंकित हुई

FP Staff

साल 2018 राजनीतिक बयानबाजी में गिरते स्तर का गवाह रहा. इस साल देश के प्रधानमंत्री से लेकर सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के मुखिया तक ने विवादित बयान दिए. ऐसे ही पांच ऐसे विवादित बयान इस रिपोर्ट में हैं जिनसे देश की राजनीति कलंकित हुई.

#1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

इस लिस्ट में पहला बयान देश के प्रधानमंत्री का है. मोदी ने विरोधी दल कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता के लिए सार्वजनिक मंच से 'विधवा' शब्द का इस्तेमाल किया. 4 दिसंबर को मोदी ने कहा था, ये कांग्रेस की कौन सी विधवा थी, जिसके खाते में रुपया जाता है.

#2. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

राजनीतिक बयानबाजी के इस गिरते दौर में किसी भी पद की गरिमा का ध्यान नहीं रखा गया. चाहे वह प्रधानमंत्री का ही पद क्यों न हो. कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल सौदे पर बीजेपी को घेरते हुए न सिर्फ एक बार बल्कि कई बार 'चौकीदार चोर है' का नारा लगाया. उनका निशाना भले ही किसी व्यक्ति पर था लेकिन उन्होंने एक सबसे बड़े लोकतंत्र के पीएम को अपमानित किया.

#3. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

राजनीति के गिरते स्तर में बजरंगबली का नाम भी जमकर उछाला गया. कई जगह तो इसे सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की गई. मध्य प्रदेश में चुनावी सभाओं के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जम कर हनुमान जी का इस्तेमाल किया. भोपाल में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी जी बोल बैठे, 'कमलनाथ जी आप को ये अली मुबारक, हमारे लिए बजरंग बली ही पर्याप्त होंगे.'

#4. कांग्रेस नेता राज बब्बर 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने इस साल राजनीति में बयानबाजी के गिरते स्तर का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया. उन्होंने तो प्रधानमंत्री की मां को ही इसमें खींच लिया. राज बब्बर ने 22 नवंबर को मध्य प्रदेश के इंदौर में रुपए की गिरती कीमत की तुलना प्रधानमंत्री मोदी की मां की उम्र से कर दी थी. उन्होंने कहा था, 'वह रुपए की गिरती कीमत की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) की उम्र से करते थे. आज रुपए की वैल्यू इतनी गिर गई है कि उनकी (नरेंद्र मोदी) प्यारी मां की उम्र के आसपास है.'

#5. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

साल 2018 में राजनेताओं ने, न प्रधानमंत्री पद का सम्मान रखा, न हीं विरोधी पार्टी के अध्यक्ष का. तो ऐसे में उनसे ये उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे. इसका उदाहरण पेश किया देश की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष ने 27 अक्टूबर को.

इस साल एक सराहनीय फैसला सुप्रीम कोर्ट ने किया. उन्होंने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटा लिया. इसके बाद केरल में फैसले के खिलाफ जम कर प्रदर्शन हुए. इसी दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, 'मैं राज्य सरकार और वो जिन्होंने कोर्ट में फैसला सुनाया उन्हें कहना चाहूंगा कि आपको ऐसे आदेश देने चाहिए जिन्हें लागू किया जा सके. न कि ऐसे फैसले जो लोगों की आस्था पर चोट पहुंचाए.'