view all

2जी फैसला: कभी कहा था गठबंधन की मजबूरी, अब कह रहे घोटाला था ही नहीं

सीबीआई ने इस मामले में अंतिम तर्क दिए. उसने मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए कहा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने सिंह को 'गुमराह' किया था

FP Staff

जिस यूपीए सरकार को टूजी घोटाले की वजह से देशभर में फजीहत झेलनी पड़ी, आज कोर्ट ने उसे बेदाग साबित कर दिया. फैसले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ये घोटाला नहीं था. यूपीए सरकार के खिलाफ प्रोपगेंडा किया गया था.

ये वही मनमोहन सिंह हैं, जिन्होंने मामला बाहर आने के बाद कहा था गठबंधन की मजबूरी के तहत विभागीय मंत्री यानी ए राजा को ये विभाग देना पड़ा. शिकायत मिलने के बाद भी टूजी स्पेक्ट्रम डील में वो सीधे हस्तक्षेप नहीं कर पाए.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक साल 2011 में एक टीवी कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा था कि ए. राजा डीएमके की पसंद थे. उन्हें विभाग देना ही था. इसमें कुछ गलत भी नहीं था.

इधर उनके पास इस डील से संबंधित शिकायतें लगातार आ रही थी. जिन कंपनियों को इसका लाभ नहीं मिला उनकी तरफ से शिकायतें आ रही थी. लेकिन वो इसपर ध्यान देने की स्थिति में नहीं थे.

सीबीआई ने कोर्ट में किया था मनमोहन सिंह का बचाव 

छह साल बाद सीबीआई ने इस मामले में अंतिम तर्क दिए. उसने मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए कहा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने सिंह को 'गुमराह' किया था.

सीबीआई ने तर्क दिया कि राजा ने 2 नवंबर, 2007 को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने स्पेक्ट्रम जारी करने की अंतिम तिथि 25 सितंबर के बारे में तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर उन्हें गुमराह किया. अपने फैसले को न्यायसंगत ठहराने के लिए कट ऑफ की घोषणा वाली अखबारों में छपे विज्ञापन भी दिखाए.

सीबीआई ने राजा पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस पूरे मामले पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह की राय को भी गलत तरीके से पेश किया.

इसके बाद मनमोहन सिंह ने 2 नवंबर 2011 को ए राजा को पत्र लिखकर बताया कि इस मामले में फिर से स्पेक्ट्रम जारी करने की मांग कई जगहों से हो रही है. इस पर ध्यान दिया जाए.