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आपात नोटबंदी पर 10 सवाल

नोटबंदी की घोषणा के बाद कालेधन से भी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

Krishna Kant

नोटबंदी से अगर कालेधन पर लगाम लगती है तो सरकार का यह फैसला बेहद अच्छा था. लेकिन घोषणा के बाद कालेधन से भी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. चारों तरफ से लोगों के मरने की खबरें आ रही हैं. लोगों के पास पैसे खत्म हो चुके हैं. मोदी के आश्वासन के बाद कई जगह अस्पतालों में 500 के नोट नहीं लिए जा रहे हैं. व्यापार ठप पड़ गया है. नोटरी अब राशन की दुकान लूटने की खबरें आ रही हैं. पूरे देश में लोगों की भीड़ बैंक शाखाओं में बढ़ती जा रही है. एटीएम खाली हैं.

इस फैसले को लागू करने से पहले कुछ सवाल उठते हैं, सरकार को जिनका जवाब देना चाहिए-


  • अगर बड़े नोटों को अचानक मार्केट से खींच लेने पर कालेधन पर अंकुश लगता है तो तुरंत 2000 के नोट क्यों जारी किए गए? क्या कालाधन रखने वालों के लिए पैसा रखना और आसान नहीं हो जाएगा?
  • जब 100, 500, 1000 और 2000 के नोट सब जारी ही करने थे तो नोट वापस करने का क्या मतलब रहा? अगर सब तरह के नोट नये स्वरूप में मौजूद हैं तो क्या यह कालाधन रखने वालों को अदला-बदली करने में मदद नहीं करेगा?
  • अगर सभी बैंक शाखाओं और एटीएम में जरूरत भर का पैसा पहुंचाने की व्यवस्था नहीं थी तो यह फैसला लेने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई?
  • देश को कितनी करेंसी रोज चाहिए क्या सरकार को इसका अंदाजा नहीं है? बैंक शाखाओं में जरूरत भर का पैसा पहले से क्यों नहीं पहुंचाया गया?
  • क्या सरकार को यह नहीं पता था कि जब वह घोषणा कर रही होगी तो उसी समय कोई बीमार होगा, कोई शादी कर रहा होगा, कोई मर रहा होगा, कोई जी रहा होगा, कोई यात्रा कर रहा होगा, सरकार ने उनके बारे में क्यों नहीं सोचा?
  • यदि सरकार कालेधन पर इतना गंभीर है कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को कुछ दिन के लिए ठप कर सकती है तो विदेशों में लाखों करोड़ रखने वाले बड़े खिलाड़ियों की सूची क्यों सार्वजनिक नहीं कर रही है?
  • पिछले एक दशक से कालेधन का हल्ला है. अब तक कोई नेता, व्यापारी, बड़े उद्योगपति नहीं पकड़े गए, न ही उनका नाम सामने आया. क्या किसी नेता, किसी पार्टी, किसी उद्योगपति या स्टार के पास कोई कालाधन नहीं है?
  • आतंकवाद और नक्सलवाद की रीढ़ तोड़ना इस फैसले का मकसद था तो यह जानकारी क्यों नहीं दी गई कि इन दोनों गतिविधियों में पूरी अर्थव्यवस्था का कितने प्रतिशत हिस्सा लगा है?
  • भारत में 90 फीसदी लेन-देन नकद पैसे से होता है. ऐसे में सरकार यह फैसला कैसे ले सकती है कि अचानक देश की 85 प्रतिशत करेंसी गैरकानूनी होगी और अगले दो दिन के लिए पूरी बैंकिंग व्यवस्था ठप कर देती है?
  • भारत में आधे से अधिक लोगों के पास अभी भी अपना बैंक अकाउंट नहीं है. जनधन योजना के तहत बड़ी संख्या में अकाउंट खुलवाए गए जिसमें से 72 प्रतिशत में जीरो बैलेंस है. अब तक तीस करोड़ लोगों के पास किसी तरह का कोई सरकारी पहचान पत्र नहीं है. ऐसे में सरकार इस तरह का फैसला कैसे ले सकती है?