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बकिंघम पैलेस: ब्रिटेन की महारानी की शानो-शौकत का अद्भुत नजारा

FP Staff

करीब तीन सौ साल पहले ड्यूक ऑफ बकिंघम ने लंदन में रहने के लिए इसे घर के तौर पर बनवाया था.इसके करीब सौ साल बाद इसे महल में बदला गया और 1837 में पहली बार क्वीन विक्टोरिया ने इस महल को अपना घर बनाया.

दिलचस्प बात ये है कि ये महल महारानी की निजी संपत्ति नहीं है. इस पर मालिकाना हक ब्रिटिश सरकार का है. इस महल से जुड़े तथ्य बताते हैं कि ये कितना बड़ा और कितना ऐतिहासिक है.


आपको बता दें कि बकिंघम पैलेस में पहली बार साल 1883 में बिजली आई थी. आज इस शानदार महल को रोशन करने के लिए 40 हजार बल्बों का इस्तेमाल होता है. महल में कुल 1514 दरवाजे और 760 खिड़कियां हैं. महल में 350 से ज्यादा घड़ियां भी लगी हुई हैं.

2015 नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बकिंघम पैलेस गए थे और महारानी एलिजाबेथ से मुलाकात की थी.

बकिंघम पैलेस में कुल 800 कर्मचारी काम करते हैं, जो इसकी देखरेख में दिन-रात जुटे रहते हैं. सफाई, बगीचे के काम से लेकर महल में आने वाली चिट्ठियां भी उन्हें देखनी पड़ती हैं.

बकिंघम पैलेस में कुल 775 कमरे हैं. इसमें से 52 शाही कमरे हैं. पैलेस 108 मीटर लंबा और 120 मीटर चौड़ा है. महल का कुल क्षेत्रफल 77 हजार स्क्वायर मीटर है. जिस जमीन पर बकिंघम पैलेस बना है वहां कभी मलबरी गार्डन होता था.

पैलेस के इतिहास में एक तथ्य ये भी छिपा हुआ है कि द्वितीय विश्व युद्द के दौरान बकिंघम पैलेस में जर्मनी ने 9 बड़े बम गिराए थे. इन हमलों के दौरान क्वीन एजियाबेथ और किंग जॉर्ज महल के भीतर ही थे लेकिन वो बाल-बाल बच गए थे.

(साभार न्यूज 18)