राजस्थान में तेजी से पैर पसारते जीका वायरस का डर अब पड़ोसी राज्यों को भी सताने लगा है. राजस्थान सीमा से सटे कई पड़ोसी राज्यों ने अपने-अपने राज्यों के नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी किया है. एडवायजरी में राजस्थान से आने-जाने वाले लोगों से विशेष सतर्कता बरतने की बात कही गई है. बता दें कि पंजाब, हरियाणा, यूपी, गुजरात और मध्यप्रदेश ये पांच राज्य हैं, जिनकी सीमाएं राजस्थान से लगती हैं.
वहीं, दिल्लीवालों को भी जीका वायरस का डर सताने लगा है, क्योंकि दिल्ली से राजस्थान के कई शहरों की दूरी 280 किलोमीटर से लेकर 450 किलोमीटर तक है. पर्यटन के लिहाज से राजस्थान पर्यटकों की पहली पसंद है. लिहाजा देशी-विदेशी पर्यटक राजस्थान से दिल्ली आते-जाते रहते हैं. पर्यटकों में से अधिकांश राजस्थान के अजमेर, जयपुर, उदयपुर जैसे शहर जाना जरूर पसंद करते हैं. इस लिहाज से दिल्ली में भी जीका वायरस का डर दिल्ली सरकार को सता रहा है. अभी तो दिल्ली सरकार की तरफ से एहतियातन कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अंदरखाने इसपर गहनता से चर्चा हो रही है. दिल्लीवालों को पहले से ही डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया ने परेशान कर रखा है और ऊपर से अगर जीका वायरस का मामला सामने आता है तो यह सरकार के लिए नई मुसीबत होगी.
बता दें बीते 24 घंटे में राजस्थान में जीका वायरस के 12 नए मामले सामने आए हैं. राज्य में जीका वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब बढ़कर 72 हो गई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को इस मुद्दे पर हुई समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी थी. विभागीय अधिकारियों के अनुसार कुल 72 में से 60 मरीज उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं. जीका वायरस संक्रमण के अधिकतर मामले जयपुर के शास्त्रीनगर इलाके के हैं. इलाके में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए फॉगिंग के अलावा मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के उपाय लगातार किए जा रहे हैं.
एडिज एजेप्टी मच्छर के जरिए फैलने वाले जीका वायरस की चपेट में आने पर व्यक्ति को बुखार होता है, त्वचा पर दाग हो जाते हैं, कंजक्टिवाइटिस यानी आंखों में संक्रमण हो जाता है, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी नुकसानदेह माना जाता है, क्योंकि इससे ‘माइक्रोसिफेली’ होने का खतरा होता है, जिसमें नवजात शिशु का सिर अपेक्षा से बहुत छोटा होता है.
फिलहाल, जीका वायरस के लिए किसी प्रकार का कोई टीका नहीं है. ऐसे में अगर ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. इस संक्रमण से पीड़ित लोगों को दर्द में आराम देने के लिए पैरासिटामॉल दी जाती है. वहीं लाल दाग को हटाने के लिए दवाई दी जाती है.
भारत में जीका वायरस हाल के वर्षों में लगातार देखा जा रहा है. इस साल जीका वायरस का पहला मामला 22 सितंबर को जयपुर में सामने आया था. राज्य सरकार ने तत्काल ही समीक्षा बैठक कर हालात पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा की भी थी. विभाग ने शास्त्री नगर इलाके के बाहर रह रही गर्भवती महिलाओं के लिए परामर्श जारी कर कहा था कि वे उस इलाके में नहीं जाएं. हालात पर नजर रखने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में एक नियंत्रण कक्ष चालू भी किया गया है. साथ ही जयपुर में निगरानी टीमों की संख्या 50 से बढ़ाकर 170 कर दी गई है.
वहीं बीते सप्ताह प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी राजस्थान में जीका वायरस के संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी थी.पिछले साल गुजरात में जीका वायरस के कुछ मामले सामने आए थे. बता दें कि 26 मई 2017 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें कहा गया था कि 15 मई 2017 के दिन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की लैब जांच रिपोर्ट में तीनों मामलों में जीका वायरस होने की पुष्टि हुई है. जीका संक्रमण फैलने का पता चलने के बाद भी गुजरात सरकार ने अहमदाबाद नगर निगम को अलर्ट जारी नहीं किया.
जीका वायरस के लिए अभी तक कोई टीका नहीं विकसित किया जा सका है. जीका के वायरस एडिज एजेप्टी मच्छर से फैलते हैं, जो डेंगू और चिकुनगुनिया के संक्रमण के लिए भी जिम्मेदार हैं. राजस्थान में जीका वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. माना जा रहा है कि ये वायरस देश के कई और हिस्सों में लोगों को संक्रमित कर चुका है. इसे लेकर बिहार और राजस्थान से सटे कई राज्यों ने अलर्ट घोषित कर रखा है.