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जाकिर नाइक ने दिल्ली हाईकोर्ट में अधिकरण के आदेश को चुनौती दी

केंद्र सरकार ने नाइक की संस्था आईआरएफ पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा रखा है

Bhasha

विवादास्पद धर्म प्रचारक जाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) ने दिल्ली हाईकोर्ट में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनयिम (यूएपीए) के तहत इस संगठन को प्रतिबंधित करने के केंद्र के फैसले को कायम रखने वाले अधिकरण के आदेश को चुनौती दी है.

कार्यवाहक चीफ जस्टिस मित्तल की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने सुनवाई के लिए यह मामला आया. जिसके बाद उन्होंने इस याचिका की सुनवाई से खुद को न सिर्फ अलग कर लिया बल्कि निर्देश दिया कि आईआरएफ की अपील किसी दूसरी पीठ के सामने लिस्टेड किया जाए.


यह विषय अब 27 जुलाई को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया है.

आईआरएफ ने अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंध को रद्द करने की मांग करते हुए अपनी याचिका में दलील दी कि अधिकरण ने यह टिप्पणी करने में गलती की कि एक नाइक के भाषण से सांप्रदायिक दंगा भड़कने के संकेत मिलताे हैं.

एक विशेष अधिकरण ने आईआरएफ को प्रतिबंधित करने का 11 मई का केंद्र का फैसला कायम रखते हुए कहा था कि 'भारत की सुरक्षा को खतरा पैदा करने सहित ऐसे पर्याप्त कारण हैं जिससे इसे एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया जाए.'

आईआरएफ ने 11 मई के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि अधिकरण ने नाइक और उसके सहयोगी आरशी कुरैशी की कथित गतिविधि के मद्देनजर संगठन के दायित्व के सवाल पर फैसला करने में गलती की. दिल्ली हाईकोर्ट की जज संगीता ढींगरा सहगल की अध्यक्षता वाले अधिकरण ने पाया था कि नाइक इसके सामने कानूनी कार्यवाही में हिस्सा लेने में नाकाम रहे, वह फरार है तथा उसका कोई अता-पता नहीं है.

आईआरएफ को पांच साल के लिए प्रतिबंधित करने के केंद्र के 17 नवंबर, 2016 की अधिसूचना को कायम रखते हुए अधिकरण ने कहा था कि आईआरएफ को गैर कानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त वजहें हैं.