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निजाम ने आजाद भारत के लिए अपनी सेवाएं दी हैं, शायद CM योगी को ये नहीं मालूम

क्या हैदराबाद के निजाम वाकई में भगोड़े थे? सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है

Yash Yadav

हाल ही में तेलंगाना में हुई अपनी रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओवैसी बंधुओं पर निशाना साधते हुए कहा था, 'अगर तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है, तो मित्रों! मैं आपसे कह सकता हूं, ओवैसी को यहां से वैसे ही भागना पड़ेगा, जैसे हैदराबाद के निजाम को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था.'

यूपी के सीएम ने निजाम का नाम लेकर भले ही राजनीतिक प्रहार करने की कोशिश की हो लेकिन सच्चाई ये है कि भारत द्वारा एक्सेशन के बाद भी सालों तक निजाम भारत में ही रहे और आखिरी सांस यहीं ली.


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

भारत की आजादी के बाद क्या हुआ निजाम का?

1947 में जब 'इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट' बना, तो आखिरी ब्रिटिश वायसराय माउंटबेटन के उस एक्ट ने भारत की सरकार को विकल्प दिया कि अगर वे चाहें तो पूरे देश को स्वतंत्र बनाकर एक कर सकते हैं. मतलब भारत बातचीत के माध्यम से राजाओं को भारतीय संघ में मिला सकता है. बता दें कि यह एक्ट वही है जिसने भारत और पाकिस्तान बनाए. इसके अनुसार अब भारत और पाकिस्तान में जुड़ने वाले हिस्सों में माउंटबेटन ने सभी राज शासनों को भी खत्म कर दिया था.

उस समय मीर उस्मान अली खान हैदराबाद के निजाम थे. वे न तो भारत का हिस्सा बनना चाहते थे और न ही पाकिस्तान का. उनका हैदराबाद को एक अलग देश बनाने का इरादा था. लेकिन आजाद भारत की सरकार को यह मंजूर नहीं था और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद को भारत से जोड़ने के लिए निजाम से कई बार बातचीत की. निजाम के न मानने पर भारत की सेना ने 'ऑपरेशन पोलो' के तहत जबरन हैदराबाद को भारत में ले लिया. 13 सितंबर से लेकर 18 सितंबर तक पांच दिन यह जद्दो-जहद चली और 18 सितंबर को मीर उस्मान अली खान ने रेडियो पर इस बात की घोषणा की.

26 जनवरी, 1950 को जब देश ने पहला गणतंत्र दिवस मनाया तब कई राज्यों को उनके राजप्रमुख भी दिए गए थे.  तब हैदराबाद के राजप्रमुख के रूप में योगी आदित्यनाथ के 'भागे' हुए निजाम ने ही सेवा दी थी. राजप्रमुख के इस पद को बाद में गवर्नर के रूप में तब्दील कर दिया गया. मीर उस्मान अली खान ने इस पद को 31 अक्टूबर, 1956 तक संभाला. इसके बाद 1956 में आंध्र प्रदेश बन गया.

मीर उस्मान अली खान का इंतकाल 24 फरवरी, 1967 में हुआ, जिसके बाद उन्हें जूदी मस्जिद में दफना दिया गया. हालांकि सभी निजामों को हैदराबाद की  मक्का मस्जिद में दफनाया गया था, लेकिन मीर उस्मान अली खान अपनी मां के पास दफ्न होना चाहते थे.

यानी वो निजाम जिसे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भगोड़ा करार दे रहे हैं वो भारत से कभी भागे ही नहीं थे. यह सच है कि वो पहले भारतीय संघ में शामिल नहीं होना चाहते थे लेकिन एक बार एक्सेशन हो जाने के बाद उन्होंने 'अखंड भारत' के लिए अपनी सेवाएं दीं.