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दीनदयाल उपाध्याय की मौत के पांच दशक बाद CBI जांच करा सकती है योगी सरकार

एसपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उपाध्याय की मौत से जुड़े तमाम दस्तावेज और इस मामले में दर्ज एफआईआर के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है

FP Staff

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ विचारक दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमई मौत के ठीक 50 साल बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सीबीआई जांच करा सकती है. दरअसल ठीक 50 साल पहले यानी 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय (अब दीनदयाल उपाध्याय) रेलवे स्टेशन के पास पंडित दीनदयाल उपाध्याय मृत पाए गए थे. उनकी मृत्यु का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है कि उनकी हत्या की गई थी या वह एक दुर्घटना थी.

न्यूज18 की खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से बीजेपी कार्यकर्ता राकेश गुप्ता ने गृह मंत्रालय को पिछले साल पत्र लिखा था. इसमें गुप्ता ने दीनदयाल उपाध्याय की रहस्मई मौत को सुलझाने के लिए जांच की मांग की थी. पत्र में उन्होंने जिक्र किया था कि उपाध्याय की मौत एक बड़ी साजिश भी हो सकती है.


गायब हैं एफआईआर सहित अन्य दस्तावेज

इसके बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी. जिस पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने एसपी (रेलवे) को मामले में जांच के लिए कहा. एसपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उपाध्याय की मौत से जुड़े तमाम दस्तावेज गायब हैं. यहां तक की इस केस में दर्ज एफआईआर के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है.

हालांकि पुलिस स्टेशन के रजिस्टर के मुताबिक इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. जिनमें से एक पर आरोप सिद्ध भी हुए और उसे चार साल की जेल की सजा भी दी गई थी.

आईजी को दी अपनी रिपोर्ट में एसपी ने लिखा, यह घटना फरवरी 11,1968 की है, और केस नंबर 67/1968 कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया. बाद में तीन लोग राम अवध, ललता और भरत राम गिरफ्तार किए गए. साल 1969 में भरत राम पर धारा 379/411 के तहत आरोप सिद्ध हुए जबकि अन्य दो बरी हो गए.