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दिल्ली में सीवर लाइन बन कर रह गई है यमुना : एनजीटी

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मंगलवार को इस बात पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की आलोचना की कि यमुना में अमोनिया के उच्च स्तर के लिए हरियाणा जिम्मेदार है

Bhasha

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मंगलवार को इस बात पर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की आलोचना की कि यमुना में अमोनिया के उच्च स्तर के लिए हरियाणा जिम्मेदार है. अधिकरण ने कहा कि यह नदी महानगर में एक नाले में तब्दील होकर रह गई है.

न्यायमूर्ति जवाद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने डीजेबी से पूछा कि उसने यमुना का पानी साफ करने के लिए क्या किया है और डीजेबी को स्पष्ट कर दिया कि वह केवल नदी में प्रदूषण को लेकर चिंतित है और दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर नहीं जा रहा है.


पीठ ने टिप्पणी की, 'आप यहां- वहां की बातें क्यों कर रहे हैं? हम केवल यमुना में प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं. आप हमेशा एक नई योजना के साथ आ जाते हैं. हम पूरी यमुना की बात कर रहे हैं न कि एक अलग-अलग हिस्से की. हम यमुना को अलग-अलग हिस्से में नहीं बांट रहे हैं, क्योंकि यह पूरी एक पारिस्थितिकी है.'

पीठ ने कहा, 'आप चाहते हैं कि हरियाणा आपको ज्यादा पानी दे ताकि नदी में प्रदूषकों का विलयन हो लेकिन बताइए कि आपने क्या किया है. आपके क्षेत्र में यमुना सीवर लाइन बन गई है.'

एक घंटे से ज्यादा चली कार्यवाही के दौरान डीजेबी के वकील एच एस फुल्का ने कहा कि हरियाणा को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह यमुना में ज्यादा पानी छोड़े और उसे कहा जाना चाहिए कि राष्ट्रीय राजधानी में आपूर्ति के लिए वह जल का शोधन करे.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की गंभीर समस्या है और हरियाणा या दिल्ली में यमुना नदी को प्रदूषित करने वाले उद्योगों को तुरंत निर्देश दिया जाना चाहिए.

हरियाणा सरकार के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि डीजेबी को आरोप-प्रत्यारोप में पड़ने के बजाए जल शोधन की क्षमता बढ़ानी चाहिए.

उन्होंने आरोप लगाए कि डीजेबी ने अधिकरण के आदेशों का पालन नहीं किया क्योंकि मुद्दे के समाधान के लिए आयोजित बैठक में इसके मुख्य सचिव ने हिस्सा नहीं लिया. नौ मार्च को भी सुनवाई जारी रहेगी.

इससे पहले अधिकरण ने हरियाणा सरकार को यमुना नदी में अमोनिया एवं अन्य प्रदूषकों के मुद्दे के समाधान के लिए कार्ययोजना सौंपने के लिए कहा था.