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तारक मेहता का उल्टा चश्मा लिखने वाले गुजराती नाटककार 'तारक मेहता' का निधन

भारत सरकार ने साल 2015 में तारक मेहता को पद्मश्री सम्मान से नवाजा था.

FP Staff

गुजराती भाषा के मशहूर और लोकप्रिय साहित्यकार और स्तंभकार तारक मेहता का 87 साल की उम्र में गुजरात के अहमदाबाद में निधन हो गया है. तारक मेहता लंबे समय से बीमार चल रहे थे.

तारक मेहता की पहचान एक व्यंग्यकार और हास्य लेखक के तौर पर होती रही है.


तारक मेहता ने कई हास्य किताबों का गुजराती में अनुवाद भी किया था और वे गुजराती थियेटर के भी जाने-माने नाटककार रहे हैं.

उन्होंने साल 1971 में गुजराती पत्रिका चित्रलेखा में स्तंभ लिखना शुरू किया था जिसे बाद में गुजराती अखबार दिव्य भास्कर में 'दुनिया ने ऊंधा चश्मा' के नाम से प्रकाशित किया जाने लगा.

इस कॉलम में वे ज्यादातर आम लोगों से जुड़े किस्से-कहानियों को रोचक तरीके से सुनाया करते थे.

साल 2008 में एंटरटेनमेंट चैनल सब टीवी ने तारक मेहता के कॉलम 'दुनिया ने ऊंधा चश्मा' पर सीरियल का निर्माण किया, जिसे 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के नाम से दिखाया जाने लगा.

पिछले 9 सालों से ये सीरियल हिंदी टीवी जगत के सफलतम सीरियलों में से एक माना जाता है.

तारक मेहता अपने लंबे जीवनकाल में 80 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. जिसमें प्रमुख हैं: ए दुनिया पंजारापोले, एक्शन रीप्ले, अल्बेलुन अमेरिका-वानथेलुन अमेरिका, चंपकलाल तापुनी जुगलबंदी, बेताज बताली-पोपटलाल तराज शामिल हैं.

भारत सरकार ने साल 2015 में तारक मेहता को पद्मश्री सम्मान से नवाजा था. उनके परिवार ने उनके शरीर के देहदान का फैसला किया है.