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एक दशक में अविवाहित महिलाओं में 6 गुना बढ़ा कॉन्डम का इस्तेमाल

पिछले 10 सालों में अविवाहित और सेक्सुअली एक्टिव 15 से 49 साल की महिलाओं में 2% से 12% की बढ़ोत्तरी हुई है

FP Staff

पिछले 10 सालों में देश की महिलाओं में सेफ सेक्स को लेकर जागरूकता बढ़ी है. 10 साल पहले जितनी महिलाएं सेफ सेक्स और गर्भनिर्धारण को लेकर जागरूक थीं, उनसे 6 गुना ज्यादा महिलाएं इस मामले में एक्टिव हैं. ये रिपोर्ट 2015-2016 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में अविवाहित और सेक्सुअली एक्टिव 15 से 49 साल की महिलाओं में 2% से 12% की बढ़ोत्तरी हुई है. 20 से 24 साल की महिलाएं कॉन्डम का सहारा लेती हैं. लेकिन रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 8 में से 3 पुरुषों का मानना है कि सेफ सेक्स या गर्भनिर्धारण की चिंता बस महिलाओं को करनी चाहिए, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं.


पंजाब में सबसे ज्यादा है जागरुकता

गर्भनिरोधक के इस्तेमाल में सबसे आगे पंजाब है. यहां 76 प्रतिशत लोग गर्भनिरोधक विधियों का इस्तेमाल करते हैं. यहां 99 प्रतिशत विवाहित महिला और पुरुष एक न एक गर्भनिरोधक विधि के बारे में जरूर जानते हैं. 15-49 साल की अविवाहित महिलाओं में से 34 प्रतिशत महिलाएं गर्भनिरोधक विधि का इस्तेमाल करती हैं. यहां तक कि इनमें से 32 प्रतिशत महिलाएं मॉर्डन तरीके अपनाती हैं. देश में मणिपुर और बिहार राज्यों में गर्भनिरोधक को लेकर सबसे कम जागरुकता है. यहां महज 24 प्रतिशत लोग इसका इस्तेमाल करते हैं.

हालांकि, महिलाओं की बड़ी संख्या अभी भी परंपरागत गर्भनिरोधक विधियों का सहारा लेती है. लेकिन सेक्सुअली एक्टिव अविवाहित महिलाएं मॉर्डन कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड का सहारा लेती हैं. इनमें- कॉन्डम, नसबंदी, इमरजेंसी पिल्स, डायफ्राम्स और आईयूडी जैसे तरीके अपनाती हैं.

लेकिन इमरजेंसी पिल्स नहीं नसबंदी

लेकिन एक हैरान करने वाली बात भी सामने आई है. बड़ी संख्या में 25 से 49 साल की उम्र की महिलाएं गर्भधारण से बचने के लिए इमरजेंसी पिल्स या किसी दूसरे तरीके का सहारा लेने के बजाय नसबंदी का सहारा ले रही हैं.

इन सबके बावजूद परिवार नियोजन योजना की स्थिति अभी बहुत मजबूत नहीं. सर्वे के मुताबिक, 25 से 49 साल की अविवाहित महिलाओं में दो-तिहाई महिलाएं परिवार नियोजन की मांग करती हैं. 11 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में गैप रखना चाहती हैं और 55 प्रतिशत महिलाएं कम बच्चे पैदा करना चाहती हैं. लेकिन अगर ये सभी महिलाएं परिवार नियोजन के हिसाब से चलेंगी, तो गर्भनिरोधक प्रसार दर 66 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जो अभी तक बस 54 प्रतिशत तक है.

रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 65 प्रतिशत सिख महिलाओं और बौद्ध या नई-नई बौद्ध धर्म को अपनाने वाली महिलाएं गर्भनिरोधक के मॉडर्न तरीके अपनाती हैं, वहीं मुस्लिम महिलाओं का प्रतिशत बस 38 है.