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16 दिसंबर के बाद : औरतें पलटकर दुनिया को अपनी नजर से देखती हैं...!

दिल्ली की पहचान रेप कैपिटल नहीं बल्कि रेप के खिलाफ खड़ी होने कैपिटल के तौर पर हुई है

Swati Arjun

‘तुम्हारा साथ मिलने से, एह़सास-ए-कुव्व़त आया है

नई दुनिया बनाने का, जुनून ये हमपे छाया है


16 दिसंबर 2011 यानि देश ही नहीं पूरी दुनिया को दहला देने वाला एक ऐसा हादसा जिसने महिलाओं की सुरक्षा और उनके नारीत्व को लेकर चलने वाली बहस को एक नया आयाम दे दिया.

निर्भया कांड के बाद कहा गया कि दिल्ली की पहचान पूरी दुनिया में एक रेप-कैपिटल के तौर पर हुई है.  लेकिन जेंडर जस्टिस और वन बिलियन राईज़िंग की संस्थापक सदस्य कमला भसीन कहती हैं, ‘दिल्ली की पहचान रेप कैपिटल नहीं बल्कि रेप के खिलाफ खड़ी होने कैपिटल के तौर पर हुई है.’

न्यूयॉर्क में हर छह मिनट में एक बलात्कार होता है और भारत में हर 22 मिनट में एक. इसका मतलब ये नहीं कि हम अमेरिका से बेहतर हैं, लेकिन इसका मतलब ये जरूर है कि हम हर बुरी परिस्थितियों के बाद भी ‘विक्टिम नहीं बल्कि सर्वाइवर’ बनकर सामने आये हैं.

फीमेल गेज, वुमेन सेफ्टी

दिल्ली के इंदिरागांधी सेंटर फॉर आर्ट्स के प्रांगण में 16 दिसंबर 2016 को निर्भया को कुछ इसी रूप में याद किया जा रहा था. चर्चा का विषय था ‘फीमेल गेज’ और ‘वुमेन सेफ्टी.’

न जाने कब से, या फिर यूं कहें कि सालों से महिलाओं को एक खास नजर या नजरिये से फिल्मों, डॉक्युमेंट्री, विज्ञापन, साहित्य और कला में दिखाया किया जा रहा है.  पर इन औरतों का कहना है  कि वे भी पलटकर कर दुनिया को अपनी नजर से देखती हैं और अपने बारे में खुद बताना चाहती हैं.

शब्द, तीन पत्ती और हाल ही रिलीज हुई और पूरी दुनिया में सराही जाने वाली फिल्म ‘पार्च्ड’ से मशहूर हुई एडिटर-डायरेक्टर लीना यादव ने फिल्म इंडस्ट्री में हुए अपने अनुभव को सबके साथ बांटा.

लीना ने कहा, ‘पहला अनुभव तो ये हुआ कि औरत होने के कारण लोग मुझे एक फिल्म एडिटर के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. दूसरा, ये कि जिन औरतों को पर्दे पर दिखाया जा रहा था, वे मेरी तरह की या हम जैसी औरतें नहीं थीं.’

हमारे भीतर एक सोच बनी हुई है कि, ‘जो अनकंफर्टेबल है, वो वहां दूर में है हमारे पास या नजदीक नहीं. मैं इस अनकंफर्टेबल जोन में जाना चाहती थी.’

एक्शन में न होना भी एक किस्म का एक्शन है

नारीनामा कार्यक्रम में अपनी बात रखतीं स्तंभकार पूजा बेदी

एक्ट्रेस और स्तंभकार पूजा बेदी कहती हैं, ‘भारत में कबीर और प्रोतिमा बेदी जैसे माता-पिता की संतान होना, बहुत ही असामान्य है. मेरे पिता आज से 40 साल पहले अमेरिकी, यूरोपियन और इटालियन फिल्म और टीवी स्टार बन चुके थे. मां , प्रोतिमा बेदी एक क्लासिकल ओडिसी डांसर होने साथ आध्यात्मिक भी थीं. फिर भी वे बहुत ही बिंदास जीवन जीने के लिए जानी जाती हैं.’

पूजा के अनुसार, ‘कुछ न करना भी एक तरह की च्वाइस है, हमारी जिंदगी हमारी च्वाइस या पसंद से ही बनती है. हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं या निर्भर, ये भी हम खुद ही तय करते हैं. कई बार हम खुद को लोगों की नजर से देखने लगते हैं और लोगों का नजरिया बदलता रहता है.’

पूजा ने आगे कहा कि अपनी तलाक के बाद उन्होंने अपने पति से कोई ऐलिमनी नहीं ली थी, ऐसा करना उनकी अपनी च्वाईस थी. क्योंकि उनको लगा कि जब वे 18 साल की उम्र से अपने लिए कमा सकतीं थी को 32 में क्यों नहीं?

वे कहती हैं, ‘हमें अपने जीवन का रास्ता खुद तय करना चाहिए, और अपने फैसलों से खुश भी रहना चाहिए. अगर आपका फैसला आपको खुशी नहीं देता है तो अपना फैसला बदल लें.’

महिला फिल्मकार और पुरुष किरदार

पार्च्ड की नायिका तनिष्ठा चटर्जी और निर्देशक लीना यादव

पार्च्ड फिल्म में मुख्य भूमिका निभाहने वाली तनिष्ठा मुखर्जी ने इस चर्चा के दौरान कहा कि, ‘मैं दिल्ली के एक अपर-क्लास बंगाली परिवार से आती हैं. मेरे परिवार में हर कोई काफी पढ़ा-लिखा है, कहे तो शिक्षकों, डॉक्टरों और इंजीनियरों का परिवार है. वे कहती हैं कि थियेटर या एक्टिंग उनके परिवार में हॉबी हो सकती है पर करियर नहीं और पूरे परिवार को इसके लिए तैयार करना आसान नहीं था.’

तनिष्ठा के मुताबिक ऐसा कर पाना अपने नारीत्व को सेलीब्रेट करने जैसा है. एक महिला फिल्मकार पुरुष को भी अलग तरह से पर्दे पर दिखाती है. वे जिन पुरुष किरदार को दिखाती हैं वो भी कई बार कमजोर, संवेदनशील और चोट पाने वाले होते हैं.

कार्यक्रम में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने भी शिरकत की

अंत में, दिल्ली महिला आयोग कि अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, ‘दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष होने के नाते उन्हें शर्म आती है कि पिछले चार सालों में जमीन पर ज्यादा बदलाव नहीं आया है. बड़े शहरों और अन्य जगहों पर ऐसी महिलाएं हैं जो अपने लिए लड़ सकती हैं, लेकिन कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके पास अपनी आवाज नहीं है. हमें उन महिलाओं को अपने साथ लाने की जरुरत है.’

स्वाति मालिवाल ने अपनी ईमेल livingpositive@gmail.com और हेल्पलाइन नंबर 181 शेयर करते हुए कहा कि, हम सब कोशिश करें कि इस ईमेल आईडी और हेल्पलाइन नंबर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो. ताकि, 22 गाड़ियों और 66 काउंसिलर की मदद से हम दिल्ली को महिलाओं के लिए और सुरक्षित बना सकें.