सरकार ये दावा करती आई है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की मदद से गरीब और दूर दराज के गांवों में रहने वाले लोगों के घर में गैस कनेक्शन पहुंचा है. लेकिन जिन गरीबों को उज्ज्वला योजना का लाभ मिला, उन्हें इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है. इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, गांव में रहने वाली जिन महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी मिली, उनसे बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) स्टेटस भी छीन लिया गया.
गुजरात के पंचमहल जिले के मेखर मोरवा गांव की शार्दाबेन, जो कि बीपीएल कार्डहोल्डर थी. उन्हें प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत 2016 में एलपीजी गैस कनेक्शन मिला था, लेकिन गैस कनेक्शन मिलने के बाद उन्हें जन वितरण प्रणाली (PDS) की दुकान ने सब्सडाइज्ड मिट्टी का तेल देने से मना कर दिया गया. इस बारे में पूछताछ करने के बाद उससे कहा गया कि एलपीजी कनेक्शन मिलने के बाद उसने अपने परिवार का बीपीएल स्टेटस खो दिया है.
वहीं रामपुर गांव की निवासी लीलाबेन कोनाभाई की स्थिति भी शार्दाबेन से कुछ अलग नहीं है. उन्होंने लोकल एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर को 600 रुपए देकर उससे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर, स्टोव, रेगुलेटर और गैस पाइप खरीदी थी. जिसके बाद उन्हें भी PDS की दुकान ने मिट्टी का तेल ये कहते हुए देने से इनकार कर दिया कि उनके पास पहले से ही गैस कनेक्शन है.
अपनी दिक्कतें बताते हुए महिलाओं ने कहा कि पीडीएस दुकान चलाने वालों ने उनसे कहा है कि राज्य सरकार ने निर्देश दिए हैं कि उज्ज्वला के लाभर्थियों को बीपीएल की कैटेगरी में नहीं माना जा सकता. जिसके चलते उन्हें सब्सिडाइज्ड मिट्टी का तेल और राशन नहीं मिलेगा.
एक महिला ने बताया कि उन्हें एलपीजी कनेक्शन वापस लौटाने पर फिर से बीपीएल की कैटेगरी में शामिल होने का ऑफर भी दिया गया. लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने उनसे कहा कि अब ये भी मुमकिन नहीं है. इनमें से ज्यादातर ने बताया कि उनसे पास मुफ्त मिले पहले एलपीजी सिलेंडर के खत्म होने के बाद, अब दोबारा गैस भराने के भी पैसे नहीं है.