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विप्रो में 10 फीसदी कर्मचारियों की होगी छंटनी

भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो इस साल अपने वर्कफोर्स में 10 प्रतिशत की कटौती करने जा रही है

FP Staff

भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो इस साल अपने वर्कफोर्स में 10 प्रतिशत की कटौती करने जा रही है. इसके लिए कंपनी ने खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों का पता लगाने को कहा है. इस बारे में मनी कंट्रोल को कंपनी के मैनेजरों से जानकारी मिली है. विप्रो में फिलहाल 1.8 लाख लोग कार्यरत हैं.

कर्मचारियों की छंटनी के इस प्रोजेक्ट को बी10 कोड-नेम दिया गया है. मैनेजरों ने बताया कि कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट ने अप्रैल में हुए अप्रेजल प्रोसेस के दौरान उन्हें बॉटम 10 परसेंट कर्मचारियों को आइडेंटीफाई करने के लिए कहा था.


10 प्रतिशत छंटनी का लक्ष्य

पिछले साल कंपनी ने त्रैमासिक अप्रेजल सिस्टम इंट्रोड्यूस किया है. इस बारे में पूछे जाने पर विप्रो ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि कितने प्रतिशत कर्मचारियों को निकाला जाएगा.

ईमेल पर भेजे गए एक जवाब में कंपनी ने कहा, 'अफवाहों का कोई आधार नहीं होता'. हालांकि कंपनी के सीनियर मैनेजरों ने मनी कंट्रोल से बातचीत में यह कंफर्म किया कि इस साल 10 प्रतिशत कर्मियों की छंटनी का टार्गेट है.

अप्रेजल की प्रक्रिया अप्रैल के अंत में खत्म हो चुकी है, लेकिन छंटनी का फैसला पहले ही कर लिया गया था. मैनेजरों से कहा गया था कि जो कर्मचारी बॉटम 10 के रूप में आइडेंटिफाई हों उन्हें रेटिंग के दौरान 5 से 2 अंक दें.

वापस बुलाकर मांगा गया इस्तीफा

उन्होंने बताया कि कंपनी ऐसे कर्मचारियों पर फोकस कर रही है जो मिडिल मैनेजमेंट लेवल के हैं और जिनकी सैलरी 10 लाख रुपए सालाना से अधिक है. कुछ मामलों में मैनेजरों को ऐसे कर्मचारियों के नामों की लिस्ट दी गई है जिनसे उन्हें रिजाइन लेना है.

कुछ मैनेजरों ने दावा किया कि उन्होंने इसका विरोध करने की कोशिश की पर उन्हें पीछे हटना पड़ा. सिर्फ भारत में काम कर रहे कर्मचारी ही नहीं, कई इंजीनियर जो ऑनसाइट पर भेजे गए थे उन्हें भी वापस बुलाकर उनसे इस्तीफा मांगा गया है.

बताते चलें कि 2015 में पूर्व सीईओ टीके कुरियन ने फ्रैंकफर्ट में एक एनालिस्ट मीटिंग के दौरान कहा था कि विप्रो अगले तीन सालों में वर्कफोर्स 47,000 तक कम करने की योजना बना रहा है. एक अन्य इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि मिडिल मैनेजमेंट स्तर के कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

इस्तीफे पर दो महीने की सैलरी का ऑफर

कॉग्निजैंट की तरह विप्रो भी अपने कर्मचारियों को औपचारिक रूप से नहीं निकाल रहा और न ही नॉन परफॉर्मेंस का हवाला देकर उन्हें नोटिस पीरियड पर रख रहा है.

मैनेजरों ने बताया कि कंपनी कर्मचारियों से स्वेच्छा से इस्तीफा मांग रही है और बदले में दो महीने की सैलरी ऑफर कर रही है. कुछ कर्मचारियों ने इस्तीफा देने से इनकार किया है, उनका कहना है कि यदि कंपनी चाहती है कि वे नौकरी छोड़ें तो उन्हें सेवेरेंस पैकेज भी देना होगा.

जिन कर्मचारियों की खराब प्रदर्शन के आधार पर छंटनी की गई है उनका कहना है कि उन्हें दो महीने की बेसिक पेमेंट ही दी जा रही है.

जितने साल उन्होंने कंपनी को दिए उसकी तुलना में यह पेमेंट काफी कम है. कुछ कर्मचारियों ने अपने पिछले परफॉर्मेंस अप्रेजल शेयर करते हुए बताया कि पिछले साल तक उन्हें अच्छी रेटिंग दी जा रही थी, फिर अचानक उन्हें खराब प्रदर्शन करने वालों की सूची में कैसे शामिल कर लिया गया.

न्यूज 18 साभार