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सलाहुद्दीन के 'ग्लोबल टेरेरिस्ट' घोषित होने से भारत को क्या लाभ है?

सलाहुद्दीन पर अमेरिकी ठप्पे का क्या है मतलब?

FP Staff

अमेरिका ने आतंकी संगठन हिजबुल-मुजाहिद के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है. ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 जून को हुई मुलाकात से बस कुछ घंटे पहले आया था. इसे भारत अपनी बड़ी जीत के दौर पर देख रहा है.

लेकिन एक वैश्विक आतंकी के ठप्पे का क्या मतलब है? और ये अमेरिकी ठप्पा हमारे लिए जरूरी क्यों है? सलाहुद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित होने का भारत के लिए क्या मायने हैं? इस मुद्दे से जुड़ी जरूरी बातें-


- कश्मीर के बडगाम का सैयद सलाहुद्दीन उर्फ युसूफ शाह 71 साल का है और अपने भारत सरकार विरोधी हरकतों की वजह से भारत सरकार की नजर में है. वो 1987 में अमीराकादल विधानसभा से असफल चुनाव भी लड़ चुका है. अब वो हिज्बुल-मुजाहिदीन का प्रमुख बन चुका है और घाटी में अस्थिरता का बड़ा कारण है.

- अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है. अमेरिका ने अपने बयान में कहा है कि 'सलाहुद्दीन ने कसम खाई थी कि वो कश्मीर को भारतीय जवानों की कब्रगाह बना देगा और कश्मीर के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सुसाइड बॉम्बर बनाएगा. उसने कश्मीर में शांति में हमेशा खलल ही डाला है.'

- सलाहुद्दीन को ये दर्जा दिए जाने का मतलब है कि अमेरिका ये मानता है कि सलाहुद्दीन और हिजबुल-मुजाहिदीन अब कश्मीरी उग्रवादी ही नहीं विश्व के लिए खतरा हैं. साथ ही अमेरिका ये भी स्वीकार करता है कि भारत की ये मान्यता सही है कि कश्मीर की अस्थिरता के पीछे सीमापार से आतंक को बढ़ावा देना वजह है.

- वैश्विक आतंकवादी यूएस एक्जीक्यूटिव ऑर्डर 13224 (एक्जीक्यूटिव ऑर्डर सीधे राष्ट्रपति की तरफ से पारित आदेश को कहते हैं) के तहत किसी व्यक्ति या संगठन को एसडीजीटी (स्पेशल डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेरेरिस्ट) या फॉरेन टेरेरिस्ट ऑर्गनाइजेशन्स का दर्जा दिया जाता है.

- ये दर्जा देने के बाद संपत्ति के नियंत्रण को देखने वाला मंत्रालय सरकार को इस व्यक्ति विशेष की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार दे देता है, साथ ही इन व्यक्तियों और संगठनों को मिलने वाले दान या योगदान को रोकता है.

- ये दर्जा दिए जाने के बाद सलाहुद्दीन के लिए मुजाहिद प्रमुख को अपने ऑपरेशन्स में जरूर परेशानियां आएंगी. सलाहुद्दीन अब तक कश्मीर समस्या के हल के लिए पश्चिम से मदद की उम्मीद करता रहा है लेकिन अब उसकी ये उम्मीद टूट जाएगी.

अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत की स्थिति आतंक के खिलाफ युद्ध में और मजबूत हो गई है. इसके बाद भारत सकारात्मक होकर हाफिज सईद और दाउद इब्राहिम जैसे आतंकियों को भी ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में लाने की लड़ाई लड़ सकता है.