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सिर्फ तीन जातियों से ही राष्ट्रपति का बॉडीगार्ड क्यों? हाईकोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब

पीठ ने इन सभी को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी 2019 को होगी

PTI

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती में सिर्फ तीन जातियों पर ही विचार करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और सेना प्रमुख से जवाब मांगा है.

जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस संजीव नरूला ने हरियाणा निवासी गौरव यादव की याचिका पर रक्षा मंत्रालय, आर्मी चीफ, राष्ट्रपति के अंगरक्षक कमांडेंट और सेना भर्ती के निदेशक को नोटिस जारी किए हैं.


पीठ ने इन सभी को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी 2019 को होगी.

गौरव यादव ने चार सितंबर, 2017 को हुई राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती रद्द करने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि राष्ट्रपति के अंगरक्षक की भर्ती के लिए सिर्फ जाट, राजपूत और जाट सिख जातियों को ही आमंत्रित किया गया था.

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अहीर/यादव जाति से संबंध रखते हैं और जाति को छोड़कर राष्ट्रपति का अंगरक्षक की भर्ती के लिए सारी आहर्ताएं पूरी करते हैं. याचिकाकर्ता ने खुद को इस पद पर नियुक्त करने का अनुरोध किया है.

याचिका में कहा गया है कि तीन जातियों को प्राथमिकता देकर से दूसरे योग्य नागरिकों को भर्ती के अवसर से वंचित किया गया है. याचिका में कहा गया है कि इस तरह पक्षपात संविधान के अनुच्छेद 14 और 15(1) और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.