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रायन स्कूल मर्डर: आखिर सीबीआई जांच में क्यों हो रही है देरी?

वरुण ठाकुर के वकील सुशील टेकरीवाल के मुताबिक हरियाणा सरकार चाहती है कि पहले पिंटो फैमिली को जमानत मिल जाए उसके बाद केस सीबीआई को सौंप दी जाएगी

Ravishankar Singh

प्रद्युम्न मर्डर केस में हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट के जज एबी चौधरी ने पिंटो फैमिली की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है. उधर हरियाणा सरकार द्वारा सीबीआई को जांच सौंपे जाने के चार दिन बाद भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है.

प्रद्युम्न मर्डर केस में गिरफ्तारी से बचने से के लिए रायन स्कूल मैनेजमेंट के मालिकों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी जिसमें मंगलवार को सुनवाई होनी थी.


लेकिन, जज ने सुनवाई से पहले ही अपने आपको अलग कर लिया है. जज का कहना है कि पिंटो फैमिली को वह अच्छी तरह से जानते हैं. ऐसे में वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते. इस मामले की अगली सुनवाई अब बुधवार को होगी.

पिछले सप्ताह पिंटो फैमिली ने गिरफ्तारी से बचने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिंटो फैमिली को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल करने को कहा था.

फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर के वकील सुशील टेकरीवाल ने कहा, ‘हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. इसके बावजूद सीबीआई इस केस में रुचि नहीं ले रही है. हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट में पिंटो फैमिली की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील क्यों नहीं उपस्थित थे? पिंटो फैमिली को बचाने के लिए हरियाणा सरकार प्रयास कर रही है. हरियाणा सरकार चाहती है कि पहले पिंटो फैमिली को जमानत मिल जाए उसके बाद केस को सीबीआई को सौंप देंगे.’

क्या जानबूझ कर हो रही देरी?

मृतक छात्र प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मनोहर लाल खट्टर जब उनके घर आए थे तो उन्होंने साफ कहा था कि इस मामले की जांच अब सीबीआई करेगी. सीएम साहब के कहने के चार दिन बाद भी इस मामले में अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

वहीं, हरियाणा सरकार ने बयान जारी कर कहा है कि इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को पत्र लिखा जा चुका है.

पिछले दिनों हरियाणा पुलिस की थ्योरीज ने प्रद्युम्न हत्याकांड में इतने पेंच फंसा दिए कि सीएम खट्टर को न सिर्फ प्रद्युम्न के घर जाना पड़ा बल्कि सीबीआई जांच के आदेश भी देने पड़े थे.

राजनीतिक दबाव में सीएम खट्टर ने पीड़ित परिवार की सीबीआई जांच मांग की बात को मान लिया. साथ ही वो हरियाणा पुलिस की एफआईआर की 'पटकथा' को जान भी गए थे. शायद इसी वजह से सीबीआई जांच में होने वाली फजीहत से बचने के लिए अभी भी हरियाणा सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है.

प्रद्युम्न मर्डर केस के शुरुआती दिनों से ही हरियाणा पुलिस या तो खुद बेहद कन्फ्यूज्ड थी और अंधेरे में तीर चला रही थी या फिर वो किसी बड़े दबाव के चलते प्रद्युम्न हत्याकांड को कंडक्टर अशोक की गिरफ्तारी पर ही समेटना चाहती थी.

मीडिया की रिपोर्टिंग में जो बातें और सीसीटीवी फुटेज से जो हकीकत सामने आ रही थी वो लगातार हरियाणा पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर रही थी. हरियाणा पुलिस के सबूत ही उसकी जांच के खिलाफ जा रहे थे. कहीं न कहीं ये हत्याकांड किसी और मास्टरमाइंड की मौजूदगी का भी अहसास करा रहा था.

गिरफ्तार कंडक्टर के परिवारवालों का आरोप है कि उसे नशे का इंजेक्शन देकर बयान लिया गया है और उसे हत्या कबूल करने के लिए थर्ड डिग्री टॉर्चर भी दिया गया है.

पुलिस की थ्योरी और सबूतों में विरोधाभास

सबूत के नाम पर हरियाणा पुलिस के पास वो चाकू है जिसे पुलिस नया बता रही है जबकि कंडक्टर के पहले दिए गए बयान में वो चाकू बस में काफी समय से पड़ा था जिससे ड्राइवर ने साफ इनकार किया था.

किसी भी हत्या के मामले में सबूत की अपनी अहमियत होती है. हथियार की बरामदगी के अलावा हत्या की असल वजह जानना बेहद जरूरी होता है. लेकिन प्रद्युम्न हत्याकांड में न तो कंडक्टर का बयान हत्या की वजह से मेल खा रहा है और न ही बरामद हथियार कुछ साबित कर पा रहा है.

गौरतलब है कि हरियाणा के गुरुग्राम स्थित रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में 8 सितंबर को सात साल के प्रद्युम्न की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.

प्रद्युम्न की हत्या के 10 दिनों के बाद सोमवार को स्कूल खुला था. लेकिन स्कूल को फिर से 24 सितंबर तक बंद कर दिया गया. स्कूल खोलने को लेकर प्रद्युम्न के पिता लगातार विरोध कर रहे थे. हरियाणा सरकार ने स्कूल का प्रबंधन अगले तीन महीनों तक अपने हाथ में ले रखा है.