राजीव धवन ने चीफ जस्टिस की कठोर टिप्पणी के बाद वकालत छोड़ने का फैसला किया है. चीफ जस्टिस से धवन इतने आहत थे कि उन्होंने पत्र लिखकर अपना दुख जाहिर किया. आज आपको राजीव धवन के वकालत में अनूठे सफर से रू-ब-रू करवाते हैं.
राजीव धवन का जन्म 1946 में पाकिस्तान में हुआ था. इंडियन लीगल सर्किल में धवन एक बहुत बड़ा नाम है. वह ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट और इंटरनेशनल कमिशन ऑफ ज्यूरिस्ट के कमिश्नर भी हैं. इसके अलावा धवन ह्यूमन राइट्स और कानून पर कई पुस्तक भी लिख चुके हैं, वहीं कई पुस्तकों में उन्होंने सहायक के तौर पर भी भूमिका निभाई है. वहीं कई अखबारों में वह मुख्य कॉलम भी लिखते हैं.
इसके अलावा अन्य जजों से भी धवन के झगड़े की खबरें सुर्खियां बटोरती रही हैं. 2013 में हाई प्रोफाइल 2 जी घोटाले मामले की सुनवाई चल रही थी, तब धवन ने न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी को एक मामले की सुनवाई और मामले से फिर से खारिज करने के फैसले से इंकार कर दिया था.
इसी मामले में 2014 में दोबारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टी.एस ठाकुर से विवाद हुआ था. इसके बाद ठाकुर ने कहा था कि कुछ वकील कोर्ट में अभद्रता करते हैं.
राजीव धवन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की है. इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और लंदन यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई की. वह इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर भी हैं. धवन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का प्रतिनिधित्व भी किया है. धवन की ही दलील पर मस्जिद वाली जगह को शीर्षक दिया गया था. इस मामले में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इस मामले पर फैसला सुनाया गया था.