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चोटी काटने की घटनाओं के रहस्य पर से पर्दा कब उठेगा?

उत्तर भारत के राज्यों में चोटीकटवा की अफवाह रुकने का नाम नहीं ले रही है

Ravishankar Singh

दिल्ली और दिल्ली से सटे आस-पास के राज्यों में महिलाओं की चोटी काटने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. इस घटना ने कई राज्यों की पुलिस की रातों की नींद गायब कर दी है.

चोटी काटने की घटना राजस्थान से शुरू हो कर हरियाणा, दिल्ली होते हुए अब उत्तर प्रदेश के मथुरा, आगरा, अलीगढ़ शाहजहांपुर, बिजनौर और अमरोहा तक पहुंच गई हैं.


पिछले कुछ दिनों से महिलाओं की चोटी काटने की लगातार घटनाएं घट रही हैं. इस घटना को लेकर उत्तर भारत के चार राज्यों की पुलिस परेशान है. पुलिस के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है यह सिर्फ अफवाह है या फिर वाकई में एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा.

हर जगह हो रही वारदात के पीछे पुलिस बहुत हद तक शक जता रही है कि इन घटनाओं के पीछे कहीं किसी घर के सदस्य का ही हाथ तो नहीं है या फिर कहीं महिलाएं खुद ही तो अपनी चोटियां नहीं काट रही हैं?

दिल्ली पुलिस सहित कई राज्यों की पुलिस इन घटनाओं पर गंभीर है. पुलिस को फिलहाल इसके पीछे भ्रम और अंधविश्वास भी नजर आ रहा है. मामला चाहे जो भी पुलिस अंधविश्वास का बहाना बना कर इस घटना से पल्ला तो नहीं झाड़ सकती है?

अभी तक चोटी काटने के जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें एक बात समान है कि सभी महिलाओं की चोटी घर के अंदर ही काटी गई. लेकिन किसी भी शख्स ने घर के अंदर किसी को भी आते-जाते नहीं देखा है.

कुछ लोगों ने किसी दैवीय शक्ति या फिर शैतान का जिक्र जरूर किया लेकिन अभी तक कोई पुख्ता बात सामने नहीं आ सकी है, लिहाजा पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं.

बीती रात दिल्ली के मायापुरी के रामचंद्र बस्ती में एक ही परिवार के चार सदस्यों के बाल कट गए. यह घटना तब हुई, जब पूरा परिवार सो रहा था. एक शख्स की पत्नी और तीन बेटियां घर की तीसरी मंजिल पर सो रहे थे. अचानक तीन बजे बच्चियां उठीं, तो उन्हें अपने बाल कटे होने का अहसास हुआ.

पुलिस मामले की छानबीन में जुट गई है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक कटे हुए बाल की जांच के लिए सीएफएसएल के लिए भेज दिया गया है.

महिलाओं में दहशत का कारण बन रहे 'चोटी कटवा' के रहस्य से अब फॉरेंसिक वैज्ञानिक ही पर्दा उठाएंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के कई जिलों से भी महिलाओं की चोटी कटने की खबर मिली है. आगरा के दयालबाग से भी एक महिला के कटे बाल पुलिस ने जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजे हैं. फॉरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक जांच के दौरान माइक्रोस्कोप से बालों का पैटर्न देखा जाएगा.

राजस्थान में लोग चोटीकटवा के डर से घर के बाहर नींबू-मिर्च लटका रहे हैं.

इससे यह पता चल जाएगा कि बाल सीधे काटे गए हैं या तिरछे. अगर सीधे काटे गए हैं, तो वे कैंची या अन्य धारदार यंत्र से काटे गए होंगे. अगर तिरछी आकृति मिलेगी, तो इससे यह साबित हो जाएगा कि उन्हें धीरे-धीरे काटा गया.

फॉरेंसिक एक्सपर्ट महिला के बालों के नमूने से कटे हुए बालों को मैच भी कराके देखेंगे. इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि बाल संबंधित महिला के ही हैं या किसी और के? आवश्यकता पड़ने पर बालों का केमिकल परीक्षण भी किया जाएगा.

मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक भी चोटी काटने की घटनाओं पर अलग राय रखते हैं. मनोवैज्ञानिकों को भी लगता है कि यह घटना अंधविश्वास और भ्रम की देन है.

यूपी पुलिस के लिए भी चिंता का सबब

दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन कुमार फर्स्टपोस्ट हिंदी से बात करते हुए कहते हैं, ‘यह एक अफवाह है. इसका कोई मनोवैज्ञानिक आधार नहीं है. मनोविज्ञान में भी इस तरह के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं. कुछ लोग हैलूसिनेशन नाम की बीमारी कहते हैं. लेकिन, मुझे इस तरह की बात नजर नहीं आती.’

नवीन कुमार आगे कहते हैं, ‘इसको बढ़ाने में सोशल मीडिया का भी बड़ा हाथ है. सोशल मीडिया आया था रेव्युलेशन करने लिए लेकिन कर कुछ और रहा है. सोशल मीडिया पर किसी भी चीज का वर्चुअल इमेज क्रिएट किया जा सकता है.

नवीन कुमार कहते हैं, ‘भारतीय समाज में किसी भी चीज को आसानी से विश्वास करने की बीमारी है. मुंह नोंचवा, मंकी मैन और गणेश जी को दूध पिलाने की जो घटना हुई थी उसको 'मास हिस्टिरिया' बोला जाता है. ये सिर्फ अफवाह है, जिसको लोग स्वीकार कर रहे हैं. आज तक इन घटनाओं का पर्दाफाश नहीं हो पाया है.’