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...जब 'मधुशाला' में महात्मा गांधी को नजर नहीं आई कोई बुराई

अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में एक घटना का जिक्र किया है जब हरिवंश राय बच्चन को ‘मधुशाला’ को लेकर भला-बुरा सुनना पड़ा था

Bhasha

बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग लिखकर एक दिलचस्प वाकये को याद किया है. इसमें बच्चन ने एक घटना का जिक्र किया है जब उनके पिता कवि हरिवंश राय बच्चन को ‘मधुशाला’ को लेकर भला-बुरा सुनना पड़ा था. बाद में महात्मा गांधी उनके बचाव में सामने आए थे. मधुशाला हरिवंश राय बच्चन की शानदार काव्य पुस्तक मानी जाती है.

अमिताभ बच्चन ने इस बारे में लिखा है कि कैसे 1935 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में उनके पिता पर 'मधुशाला' लिखने पर भारत के युवाओं को बहकाने का आरोप लगा था.


अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा है, ‘मधुशाला 1933 में लिखी गई... हां 1933 में... 85 साल पहले... अभी भी अपनी उत्कृष्ट सोच और विचार फैला रही है... पहले 1935 में हालांकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इसकी तारीफ हुई और वाहवाही मिली...लेकिन कुछ हलकों की तरफ से इसे लेकर धमकियां और फतवे भी मिले, यहां तक कि महात्मा गांधी जी से भी शिकायतें की गईं.’

उन्होंने लिखा है, ‘यह शिकायत की गई कि यह व्यक्ति देश के युवाओं को शराब की ओर बहका रहा है... युवाओं को भ्रष्ट कर रहा है...और इसे रोका जाना चाहिए या गिरफ्तारी होनी चाहिए.’

अमिताभ बच्चन ने बताया कि गांधी ने इस बात को सुनकर मेरे पिता को बुलाया. महात्मा गांधी ने मेरे पिता से कहा कि जो कुछ वह लिख रहे हैं उसे वे (गांधी जी) सुनना चाहते हैं. उन्होंने कुछ लाइनें सुनीं और कहा कि ‘इसमें तो कुछ भी ऐतराज लायक नहीं है.’ उन्होंने कहा ,‘ये सुनते ही मेरे पिता ने राहत की सांस ली और फौरन वहां से निकल गए ताकि कहीं गांधी जी का मन न बदल जाए.’