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जब बेटे को कोर्ट में खड़ा देख बोले चिदंबरम 'चिंता मत करो मैं हूं'

न्यायधीश ने कार्ति को अपनी माता-पिता से मिलने की अनुमति दी

FP Staff

दिल्ली की एक कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को पूछताछ के लिए पांच दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. कोर्ट ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया मामले में बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए यह पूछताछ जरूरी है. उसकी उपस्थिति से जांच से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को साबित करने में मदद मिलेगी.

वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति से कहा 'चिंता मत करो मैं यहां हूं.'


सीबीआई ने इस दौरान कहा है कि उसे कार्ति के पास से तीन मोबाइल फोन मिले हैं जिनका परीक्षण किया जाना जरूरी है.

सीबीआई का कहना है कि विभिन्न गवाहों के बयानों के बारे में भी कार्ति से पूछताछ की जानी है. इनमें रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव भी शामिल हैं. सुब्बाराव उस समय आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी मिलने से पहले एफआईपीबी मुद्दे से जुड़ी समिति के प्रमुख थे.

कार्ति को सीबीआई के विशेष न्यायधीश की कोर्ट में पेश किया गया. न्यायधीश ने उसे अपनी माता-पिता से मिलने की अनुमति दी. कार्ति की माता नलिनी चिदंबरम और पिता पी. चिदंबरम दोनों कोर्ट में मौजूद थे और दोनों ही वरिष्ठ अधिवक्ता हैं. इस दौरान कार्ति के वकील भी कोर्ट के कमरे में उपस्थित थे. कार्ति को सीबीआई की हिरासत में भेजने का फैसला तीन घंटे की सुनवाई के बाद आया.

प्रत्येक 24 घंटे में कार्ति चिदंबरम की होगी मेडिकल जांच

विशेष न्यायधीश सुनील राणा ने गौर करते हुए कहा कि मामला जांच के शुरुआती दौर में है और यह काफी गंभीर दौर है. जांच की केस डायरी और दिन-प्रतिदिन की रिपोर्ट को देखते हुए सीबीआई का दावा इस ग्राउंड पर आधारित है कि पहली नजर में मामले जो सबूत दिखते हैं उनमें उसकी (कार्ति) संलिप्तता के सिलसिले में और आगे जांच की आवश्यकता है.

कोर्ट नें कहा कि यह स्पष्ट है कि जांच को पूरा करने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और विशिष्ट कारणों को देखते हुए अभियुक्त की मामले में उपस्थिति वास्तव में जरूरी है.

कोर्ट ने निर्देश दिया कि कार्ति को छह मार्च को कोर्ट में पेश किया जाए. कोर्ट ने जांच अधिकारी से यह भी कहा कि हिरासत के दौरान कार्ति की हर 24 घंटे में स्वास्थ्य जांच कराई जाए.

कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्ति को हिरासत के दौरान सुबह और शाम को एक घंटे अपने वकील की मदद लेने की आजादी है. उसे डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा लेने की अनुमति होगी लेकिन घर का खाना नहीं दिया जा सकता.

(भाषा से इनपुट)