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'वर्जिनिटी टेस्ट' के खिलाफ व्हॉट्सएप ग्रुप चलाने वालों की पिटाई

प्रथा के मुताबिक गांव की पंचायत दूल्हा-दुल्हन को सुहाग रात पर सफेद चादर मुहैया कराती है. अगली सुबह चादर पर लाल धब्बा मिलता है तो दुल्हन वर्जिनिटी टेस्ट में पास हो जाती है

FP Staff

पुणे के पिंपरी में 'स्टॉप द वी वर्चुअल' व्हाट्सएप ग्रुप के तीन सदस्यों के साथ मारपीट के आरोप लगे हैं. 'स्टॉप द वी वर्चुअल' एक व्हाट्सअप ग्रुप है जो सुहाग रात पर दुल्हनों की वर्जिनिटी टेस्ट किए जाने के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है. इस ग्रुप के सदस्यों को उन्हीं के समुदाय के लोगों (कंजरभट) ने पीटा है. इस मामले में 40 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है और दो लोग गिरफ्तार किए गए हैं.

क्या है 'स्टॉप द वी वर्चुअल'


यह एक व्हाट्सएप ग्रुप है जिसे पुणे के नवयुवकों ने बनाया है. इस ग्रुप का काम दुल्हनों के वर्जिनिटी टेस्ट के खिलाफ जनजागरुकता फैलाना है. ग्रुप के सदस्यों ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई है जिसमें दावा किया गया है कि यह प्रथा अवैध और संविधान के खिलाफ है.

यह प्रथा कंजरभट समुदाय में प्रचलित है. प्रथा के मुताबिक गांव की पंचायत दूल्हा-दुल्हन को सुहाग रात पर सफेद चादर मुहैया कराती है. पंचायत के लोग उस रात बेडरूम के बाहर बैठते भी हैं. अगली सुबह चादर पर अगर लाल धब्बा मिलता है तो दुल्हन वर्जिनिटी टेस्ट में पास हो जाती है अन्यथा दुल्हन पर पूर्व में शारीरिक संबंध बनाने के आरोप मढ़ दिए जाते हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दुल्हन से इजाजत लिए बिना यह टेस्ट कराया जाता है. इतना ही नहीं, गांव की पंचायत शादी-विवाह में भी अपनी मर्जी चलाती है.

कैसे बना यह ग्रुप

ग्रुप के फाउंडर और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) के एमए के छात्र विवेक तमाईचेकर ने कहा, हमने तीन तलाक और निजता के अधिकार से जुड़े कुछ विचार फेसबुक पर शेयर किए. हमारे समुदाय (कंजरभट) के लोगों ने इसे काफी सराहा. इसलिए हमलोग आगे आए और इस अत्याचार (वर्जिनिटी टेस्ट) के खिलाफ अभियान चलाया.

तमाईचेकर ने कहा, यह प्रथा संविधान की धारा 14 और 21 के खिलाफ है. यहां के लोग समझते हैं कि यह टेस्ट होना चाहिए क्योंकि यह उनकी प्रथा है और ऐसा नहीं हुआ तो हमारी लड़कियां बिगड़ जाएंगी. इसलिए हम लोग इसके खिलाफ जागरूकता फैला रहे हैं.

पंचायत की गजब मनमानी

इस व्हाट्सअप ग्रुप के एक सदस्य कृष्णा की मानें तो, उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस कुप्रथा को तोड़ने का मन बनाया. उन्होंने कहा, हमलोग 2006 से इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं. उस वक्त पंचायत ने हमारे खिलाफ सामाजिक बहिष्कार कर दिया था. मैंने वर्जिनिटी टेस्ट, अग्निपरीक्षा और शुद्धीकरण के खिलाफ पंचायत को काफी कुछ समझाया. कंजरभट समुदाय के लोग कई अच्छे क्षेत्र में काम भी कर रहे हैं. लेकिन लाख समझाने के बावजूद वे नहीं माने. ग्राम पंचायत ने अपना मूड बदलने से मना कर दिया.

कृष्णा ने कहा, यह टेस्ट हर कपल के लिए अच्छा साबित नहीं होता. कई बार पंचायत की ओर से जबरन यह टेस्ट लाद दिया जाता है. पंचायत के लोग दूल्हा-दुल्हन के बेडरूम के बाहर बैठे रहते हैं जोकि एकतरह से निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है.