view all

नरोदा पाटिया दंगे में गई थी 97 मुस्लिमों की जान: जानिए कब क्या हुआ

करीब 10 घंटों तक चले इस नरसंहार में उग्र भीड़ ने लूटपाट, चाकूबाजी, बलात्कार, हत्या और लोगों को जिंदा जलाने जैसे अपराध किए

FP Staff

गुजरात हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगा मामले में फैसला सुना दिया. मामले की मुख्य आरोपी पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया गया है. जबकि आजीवन कारावास की सजा पाए बाबू बजरंगी की सजा बरकरार रखी गई है. 2002 में गोधरा दंगे के बाद भड़की हिंसा में 97 मुस्लिम मार दिए गए थे. यह मामला उसी से जुड़ा है.

पिछले साल अगस्त में जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस एएस सुपेहिया की बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उसी फैसले को आज सुनाया गया.आइए जानते हैं पूरा मामला.


गोधरा कांड के बाद सबसे बड़ा कत्लेआम

करीब 10 घंटों तक चले इस नरसंहार में उग्र भीड़ ने लूटपाट, चाकूबाजी, बलात्कार, हत्या और लोगों को जिंदा जलाने जैसे अपराध किए. इस घटना के बाद पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया और सेना भी बुला ली गई थी. बताया जाता है कि नरोदा का मामला 2002 के गुजरात दंगों का सबसे बड़ा कत्लेआम था, जिसमें सबसे अधिक लोगों की मौत हुई थी.

इस घटना के बाद का प्रभाव भी बेहद भयावह था. जनसंहार में बच गए सैकड़ों लोग बेघर हो गए, कईयों के यहां कोई कमाने वाला नहीं बचा था और कई बच्चे अनाथ हो गए. कई धार्मिक इमारतों को भी नुकसान पहुंचा और शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ा. उस वक्त की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं.

दंगों के बाद राज्य पुलिस और सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए गए. कहा गया कि सरकारी अधिकारियों और पुलिस अफसरों की दंगों में मिलीभगत थी. हालांकि एक विशेष जांच टीम ने अपनी जांच में इन आरोपों को खारिज कर दिया. केस पर शुरुआती रिपोर्ट फाइल कर गुजरात पुलिस 46 लोगों को आरोपी बताया पर स्पेशल कोर्ट ने इसपर भरोसा करने से इनकार कर दिया.

कोडनानी और बाबू बजरंगी को सजा

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच टीम बनाई जिसने 2009 में अपनी रिपोर्ट में 70 लोगों को आरोपी बताया. इनमें से 61 लोगों पर आरोप लगाया गया. 2012 में स्पेशल कोर्ट ने 32 लोगों को दोषी बताते हुए 29 अन्य को बरी कर दिया. इन 32 लोगों में पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी शामिल थे. माया को 28 साल जेल और बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

यहां जानें कब क्‍या हुआ?

27 फरवरी 2002: गोधरा में साबरमती एक्‍सप्रेस को एक भीड़ ने घेर कर आग के हवाले कर दिया. इस घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई.

28 फरवरी 2002: वीएचपी ने गोधरा कांड के विरोध में बंद बुलाया. बंद के दौरान उग्र भीड़ ने नरोदा पाटिया इलाके में हमला कर दिया. बाद में इसने नरसंहार का रूप ले लिया.

2009 में शुरू हुआ मुकदमा

अगस्‍त 2009 में नरोदा पाटिया मामले में मुकदमा शुरू हुआ. 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए. सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई. अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए. इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे.

2012 में सुनाई गई सजा

अगस्त 2012 में स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षड्यंत्र रचने का दोषी पाया. इसके अलावा 32 अन्‍य को भी दोषी ठहराया गया.

हाई कोर्ट पहुंचे आरोपी

स्पेशल कोर्ट के फैसले को दोषियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. यहां जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की. सुनवाई पूरी होने के बाद अगस्‍त 2017 में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्ष‍ित रख लिया.

दोषियों को मिली सजा

माया कोडनानी को 28 साल जेल की सजा

बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास

7 अन्य को 21 साल आजीवन कारावास की सजा

बाकी 14 लोगों को साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी