इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने आखिरी फैसला आने तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है. लेकिन पाकिस्तान ने फैसला मानने से इनकार कर दिया है. ऐसे में अब इस मामले के जल्दी हल होने की उम्मीद कम है.
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान फैसला नहीं मानेगा तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जा सकता है. पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि व्यवहारिक तौर पर देखा जाए तो कोई कानून दूसरे देशों पर लागू नहीं हो पाता.
अंतरराष्ट्रीय कानूनों से देशों के बीच रिश्ते चलते हैं. उन्हें देशों की सहमति से ही स्वीकार किया जाता है.
कोई देश अंतरराष्ट्रीय कानून मान ले तो ठीक वरना उसका कोई क्या कर लेगा. अभी तो आईसीजे का अंतरिम फैसला भारत के पक्ष में आया है. आगे भी हम उम्मीद कर सकते हैं.
10-12 लोगों को फांसी पर चढ़ा दो
लेकिन यदि पाकिस्तान इसे नहीं मानता है तो भारत को भी संदेश देना होगा. पाकिस्तान यदि एक कुलभूषण जाधव को फांसी दे तो उसके 10-12 लोगों को फांसी पर चढ़ा दो. तब बात बनेगी.
जहां तक वियना कन्वेंशन की बात है तो कई देश इसकी कभी परवाह ही नहीं करते. खासतौर पर महाशक्तियां. अब पाकिस्तान भी इसका उल्लंघन कर रहा है.
आईसीजे के सभी जजों ने भारत की दलीलों को मानते हुए पक्ष में फैसला दिया है. यह देश की बड़ी कूटनीतिक जीत है. अब पाकिस्तान अगर इस फैसले को नहीं मानता है तब हम सुरक्षा परिषद में जाएंगे. क्योंकि आईसीजे के फैसलों को लागू करवाने का अधिकार सुरक्षा परिषद को है.
वियना कन्वेंशन का उल्लंघन
भारत का आरोप है कि जाधव को सजा सुनाकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने वियना कन्वेंशन का उल्लंघन किया है. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि भारत ने जाधव तक पहुंच कई बार मांगी है लेकिन पाकिस्तान ने दी नहीं. ऐसे में वियना कन्वेंशन के आर्टिकल 36 का उल्लंघन हुआ है.
पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी के समय भारत को सूचना भी नहीं दी. इस केस को भारत की नजर में रखते हुए दर्ज करना चाहिए था.
भारत ने लगातार अपने दूतावास के जरिए कुलभूषण जाधव से मिलने की कोशिश की, ताकि हिरासत में उनकी स्थिति पता की जा सके और सुनवाई में उन्हें कानूनी मदद दी जा सके. पाकिस्तान ने हर कदम पर वियना संधि को तोड़ा है.