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आदिवासियों को ईसाई बनाने सेंटीनल द्वीप गए थे चाऊ, जानिए आखिरी नोट में क्या लिखा था?

अंडमान के सेंटिनल द्वीप पर मारे जाने से पहले अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ ने अपने आखिरी नोट में अपनी दिल की बात लिखी थी

FP Staff

'यीशू, मैं मरना नहीं चाहता हूं'. अंडमान के सेंटीनेल द्वीप पर मारे जाने से पहले अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ अपनी नोट में यही लिखा था. ईसाई मिशनरी चाऊ अंडमान के सेंटीनेल आदिवासियों के बीच धर्म का प्रचार कर रहे थे. वह चाहते थे कि आदिवासी अपना धर्मांतरण करके ईसाई धर्म कबूल कर लें, लेकिन सेंटीनेल के आदिवासियों ने उन्हें तीरों से मार दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पुलिस ने चाऊ की 13 पन्नों वाला नोट बरामद कर लिया है. उस नोट में लिखा है, 'आप ये सोच रहे होंगे की मैं पागल हूं, लेकिन इन लोगों को यीशु के बारे में बताना बेजा नहीं जाएगा.' चाऊ ने यह भी लिखा है कि अगर मैं मारा भी जाता हूं तो इन लोगों पर नाराज ना हों.


परिवार ने मछुआरों को माफ किया

दरअसल 27 साल के जॉन ऐलन चाऊ 7 मछुआरों के साथ बिना इजाजत एडवेंचर ट्रिप पर नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पर गए थे. चाऊ सेंटिनेलीज जनजाति के लोगों के साथ दोस्ती करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वहां के लोगों को ये बात समझ नहीं आई और उन लोगों ने उन्हें मार दिया. उनके शव को रेत में ही दफना दिया गया. पुलिस ने 6 मछुआरों और अंडमान के एस ऐलेक्जेंडर को चाऊ की मदद करने और नियम तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया है.

अंडमान-निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने बताया, 'चाऊ छठी बार पोर्ट ब्लेयर की यात्रा कर रहे थे. उन्होंने मछुआरों को उत्तरी सेंटिनल आइलैंड भेजने में मदद के लिए 25 हजार रुपए दिए थे. मछुआरे 15 नवंबर की रात उन्हें आइलैंड की पश्चिमी सीमा तक एक छोटी नाव से ले गए थे. वहां से अगले दिन चाऊ एक नाव लेकर अकेले ही आइलैंड तक पहुंचे थे. चाऊ अपने दोस्त ऐलेक्जेंडर के यहां पोर्ट ब्लेयर में रह रहे थे और 16 नवंबर को उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर गए थे.

अमेरिका नागरिक जॉन चाऊ की हत्या से उनका परिवार सदमे में है. परिवार ने लिखा कि उन्हें जितना दुख हो रहा है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. हालांकि, जॉन के परिवार ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में भारत सरकार से अनुरोध किया है कि प्रतिबंधित इलाके तक पहुंचने में मदद करने वाले मछुआरों को सजा ना दी जाए.