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जब 'भूतिया स्टेशन' का ठप्पा तोड़ने के लिए लोगों ने स्टेशन पर बिताई रात

वर्ष 2009 में 42 साल बाद इस स्टेशन को फिर से खोला गया, इसके बाद ट्रेनें यहां रूकने लगीं लेकिन यात्री भूत के डर की वजह से शाम पांच बजे तक ही स्टेशन का इस्तेमाल करते थे

Bhasha

पश्चिम बंगाल में पुरुलिया जिले के एक रेलवे स्टेशन में भूत प्रेतों के वास की कहानियां प्रचलित हैं लेकिन इस मिथ को तोड़ने के लिए तर्कवादियों ने एक रात इस स्टेशन में बिताई है.

तर्कवादियों की टीम में शामिल एक सदस्य ने बताया कि तर्कवादियों को गुरुवार रात कुछ ऐसे स्थानीय लोग मिले जो उन्हें डराकर स्टेशन से जाने के लिए कह रहे थे. बेगुनकोडोर स्टेशन अयोध्या हिल्स के पास स्थित है जो पुरुलिया शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है. 1967 में इसके स्टेशन मास्टर की रात में पटरियों पर सफेद साड़ी पहनी कथित महिला को देखने के बाद मृत्यु हो गई थी. इसके बाद से इस स्टेशन पर ‘भूतिया स्टेशन’ का ठप्पा लग गया.


रेलवे के रिकॉर्ड में भूतिया स्‍टेशन है बेगुनकोडोर

घटना की वजह से यात्रियों ने स्टेशन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और यह रेलवे के रिकॉर्ड में ‘भूतिया’ के तौर पर दर्ज हो गया. इसके बाद इसे बंद कर दिया गया था. इसकी गिनती रेलवे के10 भूतिया स्टेशन में होने लगी जो उसके रिकॉर्ड में दर्ज हैं.

42 साल बाद इस स्‍टेशन को खोला गया है

ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते वर्ष 2009 में 42 साल बाद इस स्टेशन को फिर से खोला गया. इसके बाद ट्रेनें यहां रूकने लगीं लेकिन यात्री भूत के डर की वजह से शाम पांच बजे तक ही स्टेशन का इस्तेमाल करते थे. टीम की अगुवाई करने वाले नयान मुखर्जी ने बताया कि हम पुरुलिया जिले के बेगुनकोडोर स्टेशन पर गुरुवार रात 11 बजे से अगले दिन तड़के तक रहे लेकिन हमें कोई ऐसी गतिविधि देखने को नहीं मिली.

(फीचर इमेजः रेल इंफो से साभार)