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वोडाफोन पर 1,050 करोड़ का जुर्माना, हाईकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

दूरसंचार कंपनी ने कहा कि इस मामले में उसे सुनवाई का मौका दिए बिना फैसला कर लिया जाना सरासर गलत है

Bhasha

दिल्ली उच्च न्यायालय ने टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा लगाए गए जुर्माने के खिलाफ की गई अपील पर सरकार से जवाब मांगा है.

ट्राई ने वोडाफोन द्वारा रिलायंस जियो को इंटरकनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं कराने के लिए कंपनी पर 1,050 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी, जिसके खिलाफ कंपनी ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की है.


19 जुलाई को होगी केस की सुनवाई

वोडाफोन ने अपनी याचिका में कहा है कि दूरसंचार विभाग द्वारा ट्राई से अपनी सिफारिशों पर पुनर्विचार करने को कहे जाने के बावजूद उन्होंने ने ऐसा नहीं किया. जस्टिस संजीव सचदेव ने ट्राई को नोटिस जारी कर वोडाफोन की अपील पर जवाब मांगा है और इस मामले की सुनवाई 19 जुलाई को होगी.

दूरसंचार विभाग ने ट्राई को कहा था पुनर्विचार करें

वोडाफोन ने अदालत में बताया कि ट्राई ने 21 अक्टूबर, 2016 को जुर्माने की सिफारिश की थी. इसके बाद दूरसंचार विभाग ने इसे ट्राई को वापस भेजकर इस पर पुनर्विचार को कहा था. हालांकि, ट्राई ने 24 मई, 2017 को अपनी सिफारिश को उचित बताया था.

दूरसंचार कंपनी ने कहा कि इस मामले में उसे सुनवाई का मौका दिए बिना फैसला कर लिया जाना सरासर गलत है. कंपनी का दावा है कि इस मामले में दूरसंचार विभाग उनसे सहमत है, लेकिन ट्राई ने अलग रुख अख्तियार कर रखा है.

एयरटेल, आईडिया के लिए भी जारी हुई थी ऐसी सिफारिशें

अदालत ने कहा कि इस सिफारिश पर स्थगन देने की आखिर क्या जरूरत है, क्योंकि दूरसंचार विभाग ने अब तक अपना अंतिम फैसला नहीं लिया है.

इसके जवाब में वोडाफोन ने कहा कि रिलायंस जियो ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में इन सिफारिशों के आधार पर एयरटेल, आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ भी अनुचित व्यापार व्यवहार की शिकायत दर्ज कराई है. ट्राई ने भी एयरटेल और आईडिया के खिलाफ ऐसी ही सिफारिशें जारी की थी. ऐसे में इन सिफारिशों पर स्थगन जरूरी है.

ट्राई ने इससे पहले अदालत को बताया कि अपनी सिफारिशें जारी करने से पहले वोडाफोन को उनकी बात रखने का मौका देना जरूरी नहीं था और न ही कोई ऐसा मौका दिया गया था.