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जयपुर में जल्द शुरू होगा COW सफारी: बैलगाड़ी में बैठकर करें गौशाला की सैर

काउ सफारी परियोजना पर लगभग 30 लाख रूपए खर्च होने की संभावना है, जिसे दानदाताओं और सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों से होने वाली आय से पूरा किया जाएगा

Bhasha

दो साल पहले सैकड़ों गायों की मौत से चर्चा में आई जयपुर की हिंगोंनिया गौशाला का कायाकल्प हो गया है. जल्दी ही वहां अपनी तरह की पहली काउ सफारी शुरू करने की योजना है. काउ सफारी में बैलगाड़ी से 12 एकड़ के इलाके में स्थित गौशाला की सैर कराई जाएगी. साथ ही गौशाला से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों की भी जानकारी दी जाएगी.


टाइगर सफारी और कैमल सफारी के बाद राजस्थान में काउ सफारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन सकती है.

राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जहां गो कल्याण मंत्रालय है और उसी राज्य में 2 वर्ष पूर्व गायों की दुर्दशा को इस कदर कोहराम मचा था कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की थी. देश ही नहीं, विदेशी मीडिया ने भी इस मुद्दे को जमकर उछाला था.

इस पूरे विवाद के बाद यह खबर अपने आप में सुखद एहसास देती है कि उसी गौशाला में इस वर्ष जन्माष्टमी से देश की पहली अनोखी बैलगाड़ी में 'काउ सफारी' परियोजना शुरू की जाएगी.

(फोटो: हिंगोनिया गौशाला की फेसबुक वॉल से)

 अक्षयपात्र फाउंडेशन कर रहा है देखभाल

गौशाला से जुड़ा विवाद सामने आने के बाद इसके रखरखाव और देखभाल अक्षयपात्र फाउंडेशन के हवाले कर दिया गया था. अब यहां मौजूद लगभग 22 हजार गाएं न सिर्फ बेहतर हालत में हैं, बल्कि उनमें बहुत सी पर्यटकों को दिखाने लायक भी हैं. गायों के लिए यहां विभिन्न परियोजनाओं पर काम चल रहा है.

हिंगोनिया गौशाला के कार्यक्रम संयोजक राधा प्रिया दास ने बताया कि गौशाला का भ्रमण करने वाले लोगों की सफारी के लिए चुनिंदा रास्ते तय किए जाएंगे, जिसके तहत सफारी के दौरान प्राकृतिक स्थानों और पानी के स्रोत और अन्य प्रबंध किए जा रहे हैं. शुरू में 3 बैलगाड़ियां सफारी के लिए उपलब्ध कराई जाएंगी. गौशाला के पेड़ों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएंगे. जिनमें गौशाला में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की गायों के बारे में जिक्र किया जाएगा.

(फोटो: हिंगोनिया गौशाला की फेसबुक वॉल से)

उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में गौशाला में सोलर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए सोलर पैनल लगाए जाएंगे. दास ने बताया कि गौशाला में मौजूद लगभग 22 हजार गायों में से 10 नस्ल की 200-300 गायों को सफारी क्षेत्र के लिए चुना गया है.

उन्होंने बताया कि सफारी के दौरान लोग गायों को प्राकृतिक घरों में देख सकेंगे. गौशाला में कुछ समय के लिए रूकने और ठहरने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिए कॉटेज सुविधाओं का प्रबंध किया जाएगा. दास ने बताया कि परियोजना के लिए गीर और थारपारकर जैसी नस्लों की गायों को चुना गया है. आने वाले दिनों में अन्य राज्यों से 20 तरह की अन्य किस्मों की गायों को भी यहां लाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि यह देश में अपनी तरह की पहली और अनोखी सफारी है. इसका उद्देश्य गायों और उनकी विभिन्न नस्लों के बारे में लोगों को जानकारी देना है. इसके जरिए गौ प्रेमियों को गायों को साथ समय बिताने का मौका भी मिलेगा.

(फोटो: हिंगोनिया गौशाला की फेसबुक वॉल से)

इस परियोजना पर लगभग 30 लाख रूपए खर्च होने की संभावना है, जिसे दानदाताओं और सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों से होने वाली आय से पूरा किया जाएगा.