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किसान आंदोलन: हिंसा की आग में सात दिन से झुलस रहा है मंदसौर

पुलिस की गोलीबारी के विरोध में आंदोलनकारी सार्वजनिक संपत्तियों और वाहनों को आग लगा रहे हैं

FP Staff

मध्य प्रदेश का मंदसौर हिंसा की आग में जल रहा है. लगातार सातवें दिन भी आंदोलनकारी किसानों का धरना और प्रदर्शन जारी है. मंदसौर शहर और पिपलिया मंडी में लागू कर्फ्यू के बावजूद आंदोलनकारी शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं.

मंगलवार को हुई हिंसा की आग बुधवार को और धधक उठी. कर्फ्यू के बावजूद किसानों ने पिपलिया मंडी स्थित एक फैक्ट्री में आग लगा दी और बही चौपाटी इलाके में तीन वाहनों को फूंक डाला.


मंगलवार को हुई गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवारवालों और किसानों ने बरखेड़ा पंत पर चक्का जाम कर दिया. गोलीबारी में मारे गए छात्र अभिषेक पाटीदार के शव को सड़क पर रखकर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.  आंदोलनकारी मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं.

गोलीबारी और हिंसा के विरोध में राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ और कांग्रेस ने बुधवार को बंद का आह्वान किया है. बंद को देखते हुए कई जगहों पर सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा है. नीमच, उज्जैन, झाबुआ, भोपाल में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला है.

बुधवार को दिन में किसानों को समझाने-बुझाने गए डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह को भी आंदोलनकारियों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है. जिलाधिकारी और एसपी मारे गए लोगों के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझाने पहुंचे तो आगबबूला किसानों ने उन्हें घेर लिया.

हिंसा और पुलिस की गोलीबारी के विरोध में आंदोलनकारियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया (फोटो: पीटीआई)

आंदोलनकारियों की भीड़ ने जिलाधिकारी को मारा थप्पड़

जिलाधिकारी सिंह के साथ आंदोलनकारियों ने बदसलूकी की और उनके सिर पर थप्पड़ मारा गया. जबकि, जिले के एसपी को भी किसानों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा. हालात बिगड़ता देख अतिरिक्त पुलिस बल बुलाना पड़ा, जिसके बाद ही दोनों अधिकारी किसी तरह वहां से सुरक्षित निकल पाए.

किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किसानों की संख्या को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. जिलाधिकारी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बुधवार को घटना में मरनेवालों की संख्या पांच बताई, जबकि आम किसान यूनियन के मुताबिक सिर्फ पाटीदार समाज के ही छह लोग मारे गए हैं. गोलीबारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है.

किसान अपनी पैदावार के उचित दाम और कर्ज माफी को लेकर एक जून से हड़ताल पर हैं. 10 जून तक चलने वाली हड़ताल के छठे दिन मंगलवार को किसान पिपलिया मंडी में सड़क पर उतरकर आए थे. पुलिस से उनकी झड़प हो गई और पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने किसानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई जबकि, सात अन्य घायल हो गए.

आंदोलनकारी किसानों ने देवास में ट्रैक पर उतर कर ट्रेन को रोक दिया (फोटो: पीटीआई)

किसान आंदोलन से प्रदेश की बीजेपी सरकार की नींद उड़ गई है. राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह पुलिस अफसरों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन-फानन में कृषि कैबिनेट की बैठक की. किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीति गरमा गई है. हालात को देखते हुए पुलिस ने मंदसौर जा रहे नेताओं को बीच में ही रोक दिया.