view all

1993 मुंबई बम ब्लास्ट केस: मंगलवार को होगा सजा का एलान

1993 मुंबई बम ब्लास्ट मामले में कोर्ट सोमवार यानी 19 जून को दोषियों को सजा सुनाएगा.

FP Staff

1993 मुंबई बम ब्लास्ट मामले में अब कोर्ट मंगलवार यानी 20 जून को दोषियों को सजा सुनाएगा. सोमवार को हुई सुनवाई में सजा पर फैसला मंगलवार तक के लिए टाल दिया गया.

इससे पहले 1993 मुंबई बम ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को विशेष टाडा कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. आपको बता दें कि 12 मार्च 1993 में मुंबई में 12 सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, जिसमें 257 लोगों की जान चली गई थी और 700 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे.


कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम, मुस्तफा दौसा समेत 6 लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया था. वहीं अब्दुल कयूम को सभी मामलों में निर्दोष पाया गया और उसे निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया गया था.

अबू सलेम को षड्यंत्र, आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर दोषी करार दिया गया है. जबकि मुस्तफा दौसा को हत्या और आतंकी गतिविधि की साजिश रचने का दोषी करार दिया गया था.

सुनवाई शुरू होने के बाद अभियोजन पक्ष ने अपना आरोप सिद्ध किया. जिसके बाद अबू सलेम समेत सात आरोपियों के मामले में जस्टिस जी.एस. सानप की बेंच ने फैसला सुनाया. इसके अलावा सभी आरोपियों को देश के खिलाफ युद्ध जैसा माहौल बनाने के आरोप से मुक्त किया गया.

मुंबई टाडा कोर्ट ने माना कि 1993 मुंबई धमाका मामले में मुस्तफा दौसा, अबू सलेम, ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान मुख्य साजिशकर्ता है.

नहीं होगी सलेम को फांसी

अबु सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. पुर्तगाल से प्रत्यर्पण संधि होने के कारण कोर्ट उसे फांसी या आजीवन कारावास की सजा नहीं दे सकता है. उसे अधिकतम 25 साल तक की सजा दी जा सकती है.

क्या कहना है पीड़ितों का

1993 मुंबई बम ब्लास्ट के पीड़ितों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. बम ब्लास्ट में अपनी मां को खो देने वाले तुषार देशमुख ने कहा है कि फैसला हमारे पक्ष में है और हम टाडा कोर्ट का सम्मान करते हैं.

वहीं एक और पीड़ित कीर्ति अजमेरा ने कहा है कि न्याय तभी होगा जब फांसी की सजा सुनाई जाएगी.

इस मामले में सरकारी वकील दीपका साल्वी ने कहा था कि 1993 ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने 6 लोगों को दोषी करार दिया है और कय्यूम को बरी किया है. रिटायर्ड जस्टिस पीसी कोडे ने कहा था कि आतंकियों को लेकर किसी तरह की दया नहीं दिखानी चाहिए. आपको बता दें कि जस्टिस कोडे 1993 के मुंबई धमाका मामले में टाडा कोर्ट के जज रह चुके हैं.