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नए वेंटिलेटर आ गए लेकिन स्टाफ की कमी से अटकेगी सांस

दिल्ली सरकार के खरीदे गए 125 वेंटिलेटर सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के गले की हड्डी बन गए हैं.

Ravishankar Singh

दिल्ली सरकार के खरीदे गए महंगे 125 जीवनदायी वेंटिलेटर दिल्ली के सरकारी डॉक्टरों के गले की हड्डी बन गए हैं. जगह और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को इनका फायदा भी नहीं मिल पा रहा है.

दिल्ली सरकार ने वेंटिलेटर खरीद तो लिए हैं लेकिन समस्या ये है कि इन्हें लगाया कहां जाए और चलाए कौन. फिलहाल इन्हें किसी तरह इंस्टॉल किया जा रहा है. डॉक्टरों में भी इस बात को लेकर रोष है कि जब अभी लगे वेंटिलेटर के लिए बमुश्किल स्टाफ है तो नए वेंटिलेटर के लिए लोग कहां से आएंगे.


फिलहाल वेंटिलेटर किसी के काम नहीं आ रहे हैं क्योंकि इन्हें चलाने के लिए न जरूरी स्टाफ है न ही जरूरी साजोसामान. लेकिन अस्पतालों पर दबाव है कि वे इन वेंटिलेटरों को जल्द से जल्द लगा लें क्योंकि इनके आने में सीधा हाथ दिल्ली के मुख्यमंत्री का है.

दरअसल, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी के बारे में मीडिया में खबर आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को ट्विटर पर ही फटकार लगाई थी. इसके बाद आनन-फानन में वेंटिलेटर मंगाए गए. वेंटिलेंटरों की कमी पर इस त्वरित प्रतिक्रिया के लिए सीएम केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर वाहवाही भी बटोरी थी. अस्पलातों का दावा है कि इन वेंटिलेंटरों को खरीदने की प्रक्रिया एक साल पहले शुरू हो गई थी लेकिन केजरीवाल के हस्तक्षेप के बाद ही यह अस्पतालों को मिल पाए.

लेकिन फिलहाल ये वेंटिलेटर बेमानी ही साबित हो रहे हैं. दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों के लिए आए हुए ये वेंटिलेटर अभी लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में रखे हुए हैं.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ जेसी पासी ने फ़र्स्टपोस्ट से बात करते हुए दावा किया कि ये गंभीर हालात में मरीजों के लिए जरूरी हैं. हालांकि इन्हें चलाने के लिए जरूरी चीजें या स्टाफ के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि इनकी व्यवस्था समय के साथ कर ली जाएगी. दिल्ली सरकार के अस्पताल में काम करने वाले एक बड़े डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जब तक बाकी व्यवस्थाएं नहीं होती तब तक ये वेंटिलेटर बेमानी हैं.

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल का ही उदाहरण लें जहां 41 वेंटिलेटर पहले से हैं. अस्पताल को इन्हें चलाना ही भारी पड़ रहा है. हर वेंटिलेटर को ऑक्सीजन से जोड़ने के लिए जो पाईपलाइन चाहिए, वो फिलहाल पाइपलाइन यह अस्पताल में हर जगह पहुंची नहीं है. इसी तरह से एक वेंटिलेटर को 24 घंटे चलाने के लिए कम से कम चार नर्सों की जरूरत होती है. फिलहाल यहां वेंटिलेटर के लिए 150 नर्सें हैं. नए वेंटिलेटर के लिए करीब इतनी ही नर्सों की जरूरत होगी. लेकिन इसके लिए अभी कोई प्रावधान नहीं किया गया है.

फर्स्टपोस्ट की मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल के कुछ डॉक्टर नए वेंटिलेटर को बिना पूरी तैयारी के चालू करने को लेकर सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि अभी मौजूद वेंटिलेंटर को किसी तरह मैनेज किया जा रहा है, ऐसे में नए वेंटिलेटर के लिए बिना जरूरी स्टाफ और साजोसामान के काम करना नई समस्या पैदा करेगा.

लोकनायक अस्पताल के एमएस डॉ जे सी पासी ने भी माना कि टेक्निकल स्टाफ की थोड़ी कमी है. हालांकि उन्होंने कहा कि उनके पास फिलहाल जो संसाधन हैं, उसी में से सबसे बेहतर परफॉर्मेंस देने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘हमारे अस्पताल में 1890 बेड हैं. हमारे कुछ विभागों में एक बेड पर एक से ज्यादा मरीज होते हैं. कुल मिलाकर 2000 मरीज अस्पताल में हर समय होते हैं. जहां तक मैनपावर की बात है, हमारे पास वर्कलोड को देखते हुए अस्पताल में डॉक्टर्स की संख्या ठीक-ठाक है. हमारे पास नर्सेज की संख्या भी ठीक-ठाक है. टेक्निकल स्टॉफ थोड़ा कम है.'

डॉ पासी से वेंटिलेटर संचालन में आने वाली परेशानी के बारे में कहा, ‘वेंटिलेटर्स को मेंटेन करने का काम मुख्यत: ऐनेसथीसिया विभाग के डॉक्टर्स और टेक्निशयन का है. दूसरे विभागों जैसे पेट्रेटिक आईसीयू, कार्डियो केयर यूनिट के डॉक्टर्स हैं या नर्सेज भी इन्हें चलाने का काम करते हैं. टेक्निशयन की मुख्य जरूरत आईसीयू में होती है.’

वेंटिलेटर की कमी के सवाल पर डॉ पासी कहते हैं, ‘वेंटिलेटर्स की कमी पूरी दिल्ली में है. सरकारी अस्पतालों में आगे भी कमी रहेगी, क्योंकि यहां के अस्पतालों में दिल्ली से अलावा, दिल्ली के बाहर से भी लोग आते हैं. हम लोग डिमांड जितना मर्जी बढ़ा लें फिर भी डिमांड बनी रहेगी.'

जाहिर है कि वेंटिलेंटरों की जरूरत है और नए वेंटिलेटर जल्द से जल्द लगने चाहिए. लेकिन सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि उसके लिए कुशल और पर्याप्त स्टाफ मौजूद हो.